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कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक संवर्ग के कर्मचारियों को गैर शिक्षकीय कार्य हेतु विभिन्न बीआरसी कार्यालयों एवं बीएसए कार्यालयों में अटैच किया गया है ऐसे शिक्षक अपने मूल पद स्थापना शाला में अध्यापन कार्य हेतु शीघ्र ही कार्यमुक्त होंगे।
स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने इस संबंध में बेसिक शिक्षा, समग्र शिक्षा, राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान आदि के निदेशकों को त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश देते हुए कहा कि संभागायुक्त एवं जिला कार्यालयों को निर्देशित करना सुनिश्चित करें। किसी भी कार्यालय में कोई भी शिक्षक, शिक्षामित्र या अनुदेशक का सम्बद्धीकरण नहीं होना चाहिए अगर ऐसी कोई शिकायत मिलती है तो संबंधित अधिकारी पर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग में पदस्थ कई प्रधानाध्यापक, शिक्षक व अनुदेशकों ने मंत्री, नेताओं व अन्य अफसरों तक अपनी पहुंच व पैसे के दम पर जिला मुख्यालय, बीआरसी के विभिन्न दफ्तरों या मनचाहे स्कूलों में खुद का सम्बद्धीकरण करा रखा है।कई ऐसे शिक्षक व व्याख्याता भी हैं जिनसे बिना पूछे अन्य स्कूलों में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा संलग्न कर दिया गया है। ऐसे में कई स्कूल विषय विशेषज्ञ विहीन हो गए हैं।
वहीं जिला व ब्लॉक स्तर पर भी कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो गई है। कई स्कूल तो प्रभारी प्रधानाध्यापकों के भरोसे संचालित हो रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक अपनी सुविधा के अनुसार अटैचमेंट करा लेते हैं। यह लोग अपने अधिकारियों को मीडिएटर बनकर धन लाभ भी करवाते हैं। बेसिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए शासन स्तर पर अटैचमेंट पर भले ही प्रत्येक वर्ष रोक लगाई जाती हो पर जनपदों के बेसिक शिक्षा विभाग में शासन का फरमान नहीं चलता है। यहां नियमों की अनदेखी कर शिक्षकों एवं अनुदेशकों के अटैचमेंट किए जाते हैं और निदेशक साहब के फरमान कूड़े में पड़े नजर आते हैं। कई सालों से अपना स्कूल छोड़कर बेसिक शिक्षा विभाग के ब्लॉक व जिला कार्यालयों में अंदरखाने योगदान देने वाले शिक्षकों, अनुदेशकों को किसी भी दशा में अन्यत्र सम्बद्ध न किए जाने की कड़ी चेतावनी दी गई है।
स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर यह प्रमाण पत्र देने के निर्देश भी दिए हैं कि जिले में कोई भी बेसिक शिक्षक, अनुदेशक अपने मूल विद्यालय के अतिरिक्त अन्य कहीं सम्बद्ध नहीं है। सूत्र बताते हैं कि बीते कई सालों से लगभग प्रत्येक ब्लॉक में कुछ ऐसे शिक्षक व अनुदेशक हैं जो अपने मूल विद्यालय को छोड़कर बीआरसी में बाबूगिरी करते हैं। उनका काम सूचनाओं के आदान प्रदान से लेकर अपने अधिकारियों के लिए घूस की धनराशि की उघायी करने तक है। स्कूल छोड़कर आने से ऐसे शिक्षकों को स्कूल के मिनट टू मिनट शेड्यूल से राहत मिलती है तो वहीं वे अफसरों के चहेते बनकर दूसरे काम भी कराते हैं।
बीईओ बदलने के साथ कभी कभी शिक्षकों के चेहरे जरूर बदल जाते हैं लेकिन उनका काम वही रहता है। शासन व विभाग ने बीते सालों में भी किसी शिक्षक को अन्यत्र सम्बद्ध न करने की कड़ी हिदायत दी थी फिर भी उनका आदेश हवा हवाई सिद्ध हुआ।
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