खाते में आए पैसे को डकार गए पापा, अब बिना यूनिफॉर्म में स्कूल पहुंच रहे बच्चे

परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के 1200 रूपए उनके पिता जी खा गए। लिहाजा बच्चे पुराने या बिना ड्रेस के ही स्कूल जाने को मजबूर हैं। शिक्षक यूनिफार्म खरीदने की अपील कर रहे हैं तो कम पैसा होने का हवाला देते हुए अभिभावक और पैसे की मांग कर रहे हैं।

अमन यात्रा, कानपुर देहात। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के 1200 रूपए उनके पिता जी खा गए। लिहाजा बच्चे पुराने या बिना ड्रेस के ही स्कूल जाने को मजबूर हैं। शिक्षक यूनिफार्म खरीदने की अपील कर रहे हैं तो कम पैसा होने का हवाला देते हुए अभिभावक और पैसे की मांग कर रहे हैं। विभाग में बढ़ रही अनियमितता को देखते हुए शासन यूनिफार्म एवं अन्य सामग्री खरीदने का पैसा अभिभावकों के खाते में भेज रहा है ताकि अभिभावक अपने बच्चों के लिए अच्छा यूनिफार्म और जूते मोजे खरीद सकें लेकिन कुछ अभिभावक अपने निजी कार्यों में इस धनराशि को खर्च कर ले रहे हैं और बच्चों को ड्रेस नहीं खरीद रहे हैं।
बता दें परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिये सरकार की ओर से ड्रेस, जूता, मोजा, स्टेशनरी, स्वेटर खरीदने के लिये डीबीटी के माध्यम से भेजी गयी रकम 40 फीसदी अभिभावकों ने अपने निजी काम में खर्च कर ली है। ऐसे में अब तक बच्चों के लिये ड्रेस समेत अन्य सामग्री नहीं खरीदी जा सकी है। प्रदेश सरकार ने अगस्त माह में परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों एवं उनके अभिभावकों के खाते में ड्रेस, जूता, मोजा, स्टेशनरी, स्वेटर खरीदने के लिये डीबीटी के माध्यम से 1200-1200 रुपये ट्रांसफर कराये थे।
जनपद में डीबीटी की रकम 1.44 लाख बच्चों के अभिभावकों के खाते में आयी है जिनमें से 60 फीसदी अभिभावकों ने तो बच्चों के लिये डीबीटी के माध्यम से प्राप्त रकम से ड्रेस, जूता, मोजा, स्टेशनरी खरीद ली है लेकिन 40 फीसदी अभिभावकों ने अभी तक अपने बच्चों के लिये ड्रेस नहीं खरीदी और डीबीटी के माध्यम से प्राप्त रकम के लिये धान की फसल में लागत के रूप में इस्तेमाल कर लिया। किसी ने डीबीटी की रकम से धान की फसल में खाद लगायी तो किसी ने फसल में घास न उगने की दवायें लगायीं तो किसी ने दारू पी डाली।अब ऐसे अभिभावक बच्चों के लिये ड्रेस नहीं खरीद पा रहे हैं।
ऐसे में बच्चे बिना ड्रेस के ही स्कूल जाते हैं।शिक्षकों द्वारा बच्चों के लिये स्कूल ड्रेस में आने का दवाब बनाया जा रहा है। बीएसए रिद्धी पाण्डेय ने बताया कि डीबीटी के माध्यम से 1200 रूपये धनराशि आने के बाद अधिकांश अभिभावकों ने अपने बच्चों के लिये ड्रेस खरीद ली है, वहीं जो अभिभावक बच्चों को ड्रेस नहीं दिला पाये हैं, उनसे शिक्षकों के माध्यम से बच्चों के लिये ड्रेस दिलाने के लिये कहा जा रहा है।
दूसरे कपड़ों में दिखते बच्चें-
ड्रेस वाले बच्चों में बिना ड्रेस वाले बच्चे दूसरे रंगों के कपड़ों में दिखते हैं। इन बच्चों पर शिक्षकों द्वारा रोजाना प्रार्थना सभा में ड्रेस में आने के लिये कहा जाता है। बच्चे भी घर पर अभिभावकों से ड्रेस खरीदने को कहते हैं लेकिन अभिभावक बच्चों के लिये धान की फसल उठने पर ड्रेस खरीदने का भरोसा दिला रहे हैं।
जनपद में कुल 1925 स्कूल-
जिले में परिषदीय विद्यालयों की कुल संख्या 1925 है। इन स्कूलों में 1.44 लाख बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार इन बच्चों को मिड-डे-मील उपलब्ध कराने के साथ ही मुफ्त में किताबें भी उपलब्ध कराती है और ड्रेस समेत अन्य सामान खरीदने के लिये डीबीटी के माध्यम से खातों में 1200 रूपए रकम भी ट्रांसफर करती है।
Author: aman yatra

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