भोगनीपुर, कानपुर देहात। वृंदावन धाम से पधारी कथा वाचिका विशाखा सखी ने कहा कि गरीब को एक रोटी का टुकड़ा खिलाने से मानव को स्वर्ग के द्वार तक ले जाता है मानव व हर इंसान को माता व गो माता की सेवा करना चाहिए ।उनकी सेवा करने से कभी भी घर में दरिद्रता नहीं आती । पुरैनी में चल रही श्रीमद् भागवत के अंतर्गत अंतिम दिन श्रीमद् भागवत कथा कृष्ण सुदामा चरित्र की कथा सुना रही थी। उन्होंने ने कहा कि श्री कृष्ण सुदामा एक साथ पढ़ते थे एक दिन सुदामा ने चोरी से श्री कृष्ण के हक का चना खा लिया क्योंकि उन्होंने श्री कृष्ण से कपट किया था। इस कारण सुदामा के घर में दरिद्रता आ गई । गुरु के साथ कपट किया था। दरिद्रता आने पर सुदामा की पत्नी सुशीला नेकहा कि कृष्णा द्वारकाधीश के द्वारकापति है जाकर उनसे कुछ फरियाद करो ताकि गरीबी दूर हो सके। लेकिन सुदामा धनबान थे लेकिन उनकी पत्नी निर्धन थी। अब पति-पत्नी जब एक साथ रहते हैं तो यह धनवान निर्धन का प्रश्न कहां से आ गया सुदामा जी इसलिए धनवान थे कि उनके पास राम नाम रूपी धन था सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर द्वारकापुरी पहुंचे जहां पर श्री कृष्ण सुदामा का नाम सुनते ही नंगे पैर द्वार पर आए और सुदामा की आंसुओं से चरण धोकर चरना मृत बनाया दोनों मित्र आज एक साथ जब मिले तो आनंदित हो उठे। श्री कृष्ण ने सुदामा को वह सब कुछ दिया जिसकी सुदामा जी को कल्पना भी नहीं थी सच्चा मित्र वही होता है जो मित्र के बुरे दिन कष्ट में साथ दे । भगवान ने गरीब सुदामा को अपनी मित्रता निभाकर समाज को एक नई शिझा दी । इस अवसर पर विश्राम लक्ष्मी रामाधार रवि बलराम नारायण आदि भक्तों ने व्यास पीठ की आरती कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
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