कानपुर देहात: गरीब नवाज़ मस्जिद पुखरायां में तरावीह में कुरान ए करीम मुकम्मल होने पर हाफिज मो. असद रज़ा साहब को मोहम्मद फरीद शाह गुलपोशी करके मुबारकबाद पेश की।
इस ही मौके पर मस्जिद के इमाम मौलाना आशिक अली साहब ने अपनी तकरीर कर के लोगों को बताया कि माहे रमजान का मुकद्दश महीना चल रहा है। इतवार को रोजेदारों ने अकीदत के साथ 15 रोजा भी मुकम्मल कर लिया है। मस्जिदों और घरों में तिलाबतों का दौर बदस्तूर जारी है। पांच वक्त की नमाज के साथ मस्जिदों में विशेष नमाज (तराहवीह) पढ़ी जा रही है। ये महीना रब को इंसान से और इंसान को रब से जोड़ता है। मुकद्दश रमजान में चल रहे पहला अशरा अब आखिरी पड़ाव पर चल रहा है। रमजान महीने के पहले इस 10 दिनों के अशरे में जो नेक काम करता है, जरूरतमंदों की मदद करता है, दान खैरात जकात देता है, लोगों के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करता है। अपने उन बंदों पर अल्लाह अपनी रहमत बरसाता है।
कस्बे के खानकाहे आलिया अहमदिया के कारी व हाफिज मी० आजाद हुसैन ने रमजान मुबारक की फजीलत बयां करते हुए कहाकि एक हदीस में अल्लाह के रसूल पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अगर किसी बंदे को ये मालूम हो जाए कि रमजान क्या है और रमजान की फजीलत कितनी बड़ी है तो बेशक वो तमन्ना करेगा कि बरसों बरस रमजान ही रहे और अल्लाह ने भी कुरआन की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में साफ तौर पर रोजे रखने का हुक्म दिया गया है। अल्लाह ने सूरह अल-बकरा की आयत 182 में कहा गया है कि ऐ ईमान वालों तुम पर रोजा फर्ज किया गया है, जैसे कि तुमसे पहले की उम्मत (लोगों) पर किया गया था। सूरह अल-बकरा की आयत 184 में कहा गया है कि तुम में से जो बीमार हो या सफर में, हो तो रमजान के बाद बराबर दिन के रोजे रख ले और रोजा रखना तुम्हारे लिए बेहतर है। सूरह अल-बकरा की आयत 185 में कहा गया है कि रमजान वो महीना है, जिसमें कुरआन को नाजिल किया गया, इसलिए जो लोग इस महीने में मौजूद हों, उन्हें चाहिए कि वे रोजा रखें, लेकिन जो बीमार हों या सफर में हों, उन्हें चाहिए कि वे रमजान के बाद बराबर दिनों तक रोजा रखें। अल्लाह तुम्हारे लिए आसानी चाहता है परेशानी नहीं। कहाकि हर मोमिन को चाहिए कि माहे रमजान का एहतराम करें और कशरत के साथ रोजे रखे और इबादत करे। इसी कार्यक्रम में मुख्य भूमिका निभाई गुलज़ार राईन, सबलू खान, हाशिम, अल्तमश इदरीश, शफीक खान, गुड्डू खान, फरहान हुसैन, भूरा शाह, इकरार सिद्दिकी, रहमान शाह, अनस खान, अतीक मंसूरी, दानिश सिद्दीकी, अशरफ सिद्दीकी, मोनिश खान, बेदी सिद्दिकी, छोटे बिरहानी, व पूरे मोहल्ले ने सहयोग कर सीरीनी व हाफिज जी को नजराना दिया।
रमज़ान खान, हाजी अज़ीज़, मुवीन सिद्दीकी, काशिफ खान, पूर्व जिलध्यक्ष, अबू अजहरी, फैजान सिद्दीकी, सोहिल खान, चांद खान, शाह आलम भी मौजूद रहे।
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