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कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा विभाग ने पूरे यूपी में परिषदीय विद्यालयों पर डीबीटी पेंडेंसी खत्म करने का दबाव बनाया हुआ है। कई जिलों में आंख मूंदकर हेडमास्टरों का वेतन बाधित किया जा रहा है। अब प्रतिदिन समीक्षा कर हेडमास्टरों को लंबित डीबीटी कार्य समाप्त करने की ताकीद दी जा रही है। उधर शिक्षकों का तर्क है कि अभिभावकों की गलतियों के लिए उन्हें बलि का बकरा क्यों बनाया जा रहा है।
विभाग ने किया वेतन अवरूद्ध-
हेडमास्टरों पर इतना दबाव बनाया गया कि उनका रविवारीय अवकाश भी डीबीटी के नाम चला गया। छुट्टियों में भी शिक्षक डीबीटी की पेंडेंसी खत्म करने के लिए हाथ पैर मारते रहे लेकिन उन केसों को खत्म नहीं किया जा सका जिनमें मामला पूरी तरह अभिभावकों के हाथ हैं। कुछ अभिभावकों के आधार ही नहीं बने जबकि कई बच्चों के आधार प्रक्रियाधीन हैं। इस स्थिति में प्रतीक्षा ही एकमात्र विकल्प बन गया है। शिक्षकों का 90 कार्य पूरा हो चुका है।
अभिभावक बच्चों का आधार नहीं बनवा रहे-
शिक्षकों का कहना है कि जब अभिभावक ही अपने बच्चे का आधार नहीं बनवा रहे और अपने बैंक खाते की आधार सीडिंग नहीं करा रहे हैं तो हमारा क्या दोष है। इसके बावजूद शिक्षकों ने रविवार को डीबीटी की पेंडेंसी खत्म करने के लिए पूरा जोर लगाया।
स्कूल छोड़ अभिभावकों को ढो रहे शिक्षक-
हालात यह हैं कि कई हेडमास्टर व शिक्षकों ने स्कूल छोड़कर अभिभावकों को बैंक तक लाना शुरू कर दिया है ताकि उनके आधार को बैंक खाते से सीड कराया जा सके जबकि स्कूल समय पर स्कूल छोड़ने पर पाबंदी है। सूत्र बताते हैं कि विभाग ही शिक्षकों पर ऐसा करने का दबाव बना रहा है हालांकि शिक्षकों की इसमें कोई गलती नहीं है।
एक की पेंडेंसी पर भी वेतन रोका-
शिक्षकों में की जा रही कार्यवाही को लेकर खासा रोष है। नाम न छापने की शर्त पर शिक्षकों ने कहा कि जब 90 से 99 फीसदी काम पूरा कर लिया तो एकाध छात्रों का डीबीटी कार्य भला हम क्यों छोड़ेंगे। विभाग को समझना चाहिए कि कोई न कोई व्यवहारिक दिक्कत रही होगी। इन दिक्कतों को दूर करना सिर्फ हमारे हाथ में नहीं है। अभिभावकों व जिम्मेदारों का साथ भी चाहिए।
तकनीकी दिक्कतों का क्या करें शिक्षक-
सूत्र बताते हैं कि कई बार तो छात्र व उसके अभिभावक के आधार को प्रेरणा पोर्टल पर वेरीफाई करने के बावजूद डीबीटी ऐप में उनके आधार को सत्यापित नहीं होना दिखता है। जिसके चलते शिक्षकों को प्रेरणा पोर्टल में पंजीकरण के बाद डीबीटी ऐप पर भी आधार सत्यापन करना पड़ता है। जिसके चलते न केवल उनके कीमती समय की बर्बादी होती है बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है।
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