ऑनलाइन हाजिरी बनी अधिकारियों के लिए जी का जंजाल
सात जिलों में सोमवार से परिषदीय शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी को लेकर विवाद सामने आने लगा है। शिक्षकों ने सोमवार को अपनी कोई भी हाजिरी मोबाइल ऐप के जरिए नहीं लगाई।

कानपुर देहात। सात जिलों में सोमवार से परिषदीय शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी को लेकर विवाद सामने आने लगा है। शिक्षकों ने सोमवार को अपनी कोई भी हाजिरी मोबाइल ऐप के जरिए नहीं लगाई। उनका कहना है की शासन ने उनको स्मार्टफोन तो उपलब्ध करा दिया लेकिन उसमें सिम और डाटा की कोई व्यवस्था नहीं की है। शिक्षक अपना डाटा इस्तेमाल करके भला क्यों हाजिरी लगाएगा। शिक्षक नेताओं ने यह भी कहा कि पहले अधिकारी स्वयं अपनी ऑनलाइन हाजिरी भरना शुरू करें उसके बाद ही इस बात पर हम लोग विचार करेंगे कि उनको ऑनलाइन हाजिरी लगानी है या नहीं।

सोमवार से लखीमपुर, सीतापुर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, शाहजहांपुर समेत सात जिलों में परिषदीय शिक्षकों को शासन द्वारा दिए गए मोबाइल फोन से हाजिरी लगानी थी लेकिन किसी भी जनपद में ऐसा नहीं हुआ। एक भी टीचर ने सोमवार को मोबाइल ऐप के जरिए से हाजिरी नहीं लगाई। मामला सामने-आने के बाद जब शिक्षक नेताओं से बातचीत की गई तो उनका टका सा जवाब सामने आया। उनका कहना है कि शासन की व्यवस्था व्यावहारिक नहीं है अगर उन्होंने स्मार्टफोन दिया है तो उनको सिम और डाटा की भी व्यवस्था करनी चाहिए थी। कोई भी शिक्षक अपना निजी डेटा भला सरकारी काम के लिए क्यों इस्तेमाल करेगा। शिक्षक यहीं पर नहीं रुके उन्होंने यह भी कहा कि जब उनकी हाजिरी चेक करने के लिए मैन्युअल व्यवस्था बनाई गई है, लखनऊ से आकर अधिकारी उनके स्कूलों में रजिस्टर चेक करते हैं तो इस ऑनलाइन हाजिरी का मतलब ही क्या। उन्होंने यह भी कहा कि पहले अधिकारी मोबाइल एप से अपनी हाजिरी लगाना शुरू करें उसके बाद शिक्षक ऑनलाइन हाजिरी भरेंगे। इस प्रकार ऑनलाइन हाजिरी सिस्टम अधिकारियों के लिए गले की फांस बन गया है। फिलहाल ऑनलाइन हाजिरी का यह मामला बढ़ता ही जा रहा है।
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