गोरखपुर,अमन यात्रा । लौटते मानसून ने जाते-जाते शुक्रवार से शनिवार के बीच अपना रौद्र रूप दिखा दिया। महज 27 घंटे में गोरखपुर में 227 मिलीमीटर बारिश कराकर अक्टूबर में होने वाली पिछले 127 वर्षों की बारिश का आंकड़ा पार करा दिया। प्राप्त आकड़ों के मुताबिक इससे पहले दो अक्टूबर 1894 में 218 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई थी। यह स्थिति तब रही, जब बारिश को मापने वाली मशीन के पास अत्यधिक जल-जमाव के चलते शनिवार को 11:30 बजे के बाद अद्यतन आंकड़ा नहीं लिया जा सका।
शुक्रवार से शुरू हुआ बारिश का सिलसिला
बारिश का सिलसिला शुक्रवार की सुबह फुहारों के साथ शुरू हुआ। देर शाम तक रिमझिम बारिश ने तेज बारिश का रूप ले लिया। उसके बाद तो पूरी रात झमाझम बारिश का जो क्रम शुरू हुआ, वह शनिवार की दोपहर बाद ही जाकर थमा। बारिश भले ही रुक गई लेकिन आसमान में बादल छाए रहे। इसके चलते भगवान भास्कर के दर्शन शाम ढलने तक नहीं हो सके। मौसम विज्ञानी कैलाश पांडेय के अनुसार इस बारिश की वजह पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश के ऊपर निम्न वायुदाब क्षेत्र का बनना रहा। चूंकि यह वायुमंडलीय परिस्थिति अभी भी सक्रिय है, इसलिए रविवार को भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश की आशंका बनी हुई है। सोमवार से पूरी तरह मौसम साफ होने की उम्मीद मौसम विज्ञानी जता रहे हैं।
ऐसा रहा शनिवार का तापमान
मौसम विभाग के पैमाने पर शुक्रवार से शनिवार के बीच हुई बारिश अतिवृष्टि कही जाएगी। 205 मिलीमीटर से अधिक बारिश को मौसम विभाग अतिवृष्टि मानता है। बारिश के चलते तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। शनिवार की सुबह का तापमान 22.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया, जो शुक्रवार के मुकाबले करीब दो डिग्री सेल्सियस कम है। शुक्रवार की सुबह का तापमान 24.6 डिग्री सेल्सियस था। मापक यंत्र के आसपास जलजमाव के चलते शनिवार का अधिकतम तापमान भी रिकार्ड नहीं किया जा सका।
दो दिनों की भारी बारिश में हुए नुकसान का करें आकलन
जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने शनिवार को कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक करते हुए एक एवं दो अक्टूबर को हुई भारी बारिश के चलते हुए नुकसान का आकलन कर प्रभावित लोगों को क्षतिपूर्ति देने का निर्देश दिया। बैठक में बाढ़ से हुए नुकसान का जल्द से जल्द आकलन करने को भी कहा गया। जिले में बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए लघु, मध्यम एवं दीर्घकालीन योजना बनाने को लेकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई।
जिलाधिकारी ने कहा कि जिन किसानों ने फसल बोई थी और बाढ़ के कारण उनकी 33 फीसद से अधिक फसल प्रभावित हुई है, ऐसे हर किसान की सूचना राहत पोर्टल पर अंकित की जाए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से आच्छादित जिन किसानों की फसल बाढ़ के कारण प्रभावित हुई है, उसमें से प्रत्येक को शत-फीसद सहायता राशि प्रदान की जाए। इसकी निगरानी सभी तहसीलों के एसडीएम स्वयं करेंगे। जिलाधिकारी ने सार्वजनिक परिसंपत्तियों के मरम्मत एवं निर्माण के लिए राज्य आपदा मोचक बल के दिशा-निर्देशों के अनुसार सात अक्टूबर तक हर हाल में आकलन तैयार करने का निर्देश दिया है। बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए परिषदीय विद्यालयों, पंचायत भवनों, आंगनबाड़ी केंद्रों, बिजली के तार एवं खंभे, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, पशु चिकित्सालयों, हैंडपंपों को हुए नुकसान का आकलन दो दिनों में कर लेना है। जिलाधिकारी ने कहा कि बाढ़ में लगाई गई नाव के किराए एवं नाविकों का पारिश्रमिक भुगतान एक सप्ताह के भीतर कर दिया जाए।