गौरैया की मधुर चहचहाहट फिर गूंजेगी आंगन में, कानपुर देहात ने दिखाई राह
कभी हर घर-आंगन की शान रही नन्ही गौरैया की चहचहाहट आज मानो गुम सी हो गई है। लेकिन कानपुर देहात ने इस नन्ही चिड़िया को बचाने का बीड़ा उठाया है।

- विश्व गौरैया दिवस पर वन विभाग की अनूठी पहल, विलुप्त होती गौरैया को बचाने का संकल्प
कानपुर देहात: कभी हर घर-आंगन की शान रही नन्ही गौरैया की चहचहाहट आज मानो गुम सी हो गई है। लेकिन कानपुर देहात ने इस नन्ही चिड़िया को बचाने का बीड़ा उठाया है। जिलाधिकारी आलोक सिंह के कुशल मार्गदर्शन में प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय में आयोजित विश्व गौरैया दिवस समारोह में गौरैया संरक्षण का एक नया संकल्प लिया गया।
प्रभागीय वनाधिकारी एके द्विवेदी ने भावुक अपील करते हुए कहा, “गौरैया सिर्फ एक चिड़िया नहीं, बल्कि हमारे बचपन की यादों का हिस्सा है। इसका विलुप्त होना हमारी संस्कृति और पर्यावरण के लिए एक बड़ा नुकसान है।” उन्होंने लोगों से अपने घरों की छतों पर गौरैया के लिए दाना-पानी रखने और उनके लिए सुरक्षित घोंसले बनाने का आग्रह किया।
जिला परियोजना अधिकारी विवेक कुमार सैनी ने कहा, “विश्व गौरैया दिवस सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन है। हमें मिलकर गौरैया को बचाने के लिए काम करना होगा।” उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों में गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम में उपस्थित क्षेत्रीय वन अधिकारियों और वनरक्षकों ने भी गौरैया संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने लोगों को गौरैया के अनुकूल वातावरण बनाने और कीटनाशकों के प्रयोग को कम करने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर, वन विभाग ने लोगों को गौरैया के लिए कृत्रिम घोंसले और दाना-पानी के बर्तन वितरित किए। बच्चों ने गौरैया के चित्र बनाए और उन्हें बचाने का संकल्प लिया।
कानपुर देहात की इस पहल ने यह संदेश दिया है कि अगर हम सब मिलकर प्रयास करें, तो हम अपनी नन्ही दोस्तों को विलुप्त होने से बचा सकते हैं और उनके मधुर गीत को फिर से अपने आंगनों में गूंजा सकते हैं।
Discover more from अमन यात्रा
Subscribe to get the latest posts sent to your email.