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विकास, औरैया। दस अगस्त से शुरू होने वाले सर्वजन दवा सेवन अभियान को लेकर आँगनवाड़ी कार्यकर्ता सुमन ने कमर कस ली हैं| ‘सबको दवाई खाना है, फाईलेरिया से बचाना है ‘ का सन्देश देते हुए वह सभी लोगों जागरूक करने का कार्य कर रहीं है | 17 जुलाई से शुरू हुए दस्तक अभियान में उन्होंने अपने गाँव के सभी घऱों में फाईलेरिया के साथ साथ कुष्ठ, क्षयरोग और अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों को ढून्ढ रहीं हैं।
ब्लॉक अछल्दा के औतों गांव की आँगनवाड़ी कार्यकर्ता सुमन चतुर्वेदी बताती हैं कि उनके क्षेत्र में पंद्रह सौ की आबादी है, गृह भ्रमण के दौरान वह और आशा कार्यकर्ता इद्रावती लोगों को पोस्टर के माध्यम से फाइलेरिया अभियान के बारें में बता रही हैं, कि आगामी 10 से 28 अगस्त तक फाइलेरिया उन्मूलन अभियान शुरू किया जा रहा है। जिसमें फाईलेरिया रोग से बचाव की दवा खिलाई जानी हैं| वह लोगों को समझा रही हैं कि एक साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करना है। एक से दो साल के बच्चों को अलबेंडाजोल की आधी गोली पीसकर खिलाई जायेगी। स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सामने ही दवा का सेवन करें। ऐसा कोई बहाना न करें कि अभी नाश्ता नहीं किये हैं या अभी सर्दी-खांसी है, बाद में खा लेंगे आदि क्योंकि आज का यही बहाना आपको जीवनभर के लिए मुसीबत में डाल सकता है। इसलिए दवाओं का सेवन कर समाज को फाइलेरिया मुक्त बनायें।
फाइलेरिया से जूझ रहे बोले, दवा जरूर खाएं
ब्लॉक अछल्दा के औतों गांव निवासी 75 वर्षीय मुन्नी देवी करीब 25 सालों से फाइलेरिया से जूझ रहीं हैं, वह बताती हैं कि ‘बाएं पैर की एड़ी में भीषण दर्द होता था एक कदम चलना भी मुश्किल था। पहले ऐसे कोई लक्षण दिखाई ही नहीं दिये जिससे मुझे अंदाजा होता की मुझे भी फाईलेरिया हो सकता है तब सुमन दीदी से मुझे जानकारी हुई कि फाइलेरिया संक्रमण के लक्षण दिखने में पांच से 15 साल लग सकते हैं। पर उस मेरे पास जानकारी का आभाव था । मेरे दो बेटों को भी तीन साल से फाईलेरिया है। मेरे बच्चें भी इस बीमारी से जूझ रहे है | मुझे यह अच्छी तरह से समझ आ गया है कि फाइलेरिया से बचाव के लिए यह दवा कितनी जरूरी है। इसलिए सभी से यही कहना है कि जो मेरे साथ हुआ वैसा आप के साथ न हो इसलिए दवा का सेवन जरूर करें ताकि आपके सारे सपने साकार हो सकें।
इसी गांव की 51 वर्षीय गीतादेवी बीते 15 सालों से फाइलेरिया से ग्रसित हैं। उनके दाहिने पैर में सूजन रहती है। गीता बताती हैं कि इस बीमारी ने लाचार बना दिया है। वह बताती हैं कि जिस पीड़ा से उनको गुजरना पड़ा है, उससे किसी और को न गुजरना पड़े क्योंकि यह बीमारी जानलेवा तो नहीं है लेकिन शरीर को मृत समान जरूर बना देती है। यहाँ तक कि लोग अपनी दैनिक क्रिया तक सही से नहीं कर पाते हैं। इसीलिये वह चाहती हैं कि 10 अगस्त को शुरू हो रहे सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा लोग दवा का सेवन करें और फाइलेरिया से सुरक्षित बनें।
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