कवितासाहित्य जगत

जय ब्रह्मचारिणी माँ 

श्वेत वस्त्र से अति शोभित  तुम्हारा कन्या रूप निराला एक हाथ में लिए कमंडल माँ दूजे हाथ में तुम माला

श्वेत वस्त्र से अति शोभित

तुम्हारा कन्या रूप निराला

एक हाथ में लिए कमंडल

माँ दूजे हाथ में तुम माला


 

सहस्र वर्षो तक की तपस्या

शत वर्षो निराहार प्रक्रिया

तब प्रसन्न महादेव को पाया

नाम फिर ब्रह्मचारिणी पाया


 

तप कर, पायी असीम शक्ति

सहस्र राक्षसों ने पायी मुक्ति

अति सौम्य माँ क्रोध रहित हो

तंत्र -मंत्र से माँ तुम संयुक्त हो


 

सरलता से हो जाती माँ प्रसन्न

दें शीघ्र वरदान,करे जब पूजन

पूजन से करती संयम में वृध्दि

आशीर्वाद से बढ़ाती सुख समृद्धि

 

     मीनाक्षी शर्मा ‘मनुश्री’

गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

AD
Back to top button