साहित्य जगतकविता
जय श्री गणेश
मात-पिता ही तीनों लोक तुम्हारे वाहन तुम्हारे, नन्हे मूषक प्यारे चतुर्भुज हो तुम हो बुद्धि के दाता जय गजानन जय गणपति देवता
जय श्री गणेश
मात-पिता ही तीनों लोक तुम्हारे
वाहन तुम्हारे, नन्हे मूषक प्यारे
चतुर्भुज हो तुम हो बुद्धि के दाता
जय गजानन जय गणपति देवता
श्री शिव स्वयं भू जी है पितृ तुम्हारे
मोदक मिष्ठान तुम्हें बहुत ही प्यारे
मंगलमूर्ति महाकाय जय विघ्नहर्ता
जय गजानन जय गणपति देवता
दिया वरदान शिव ने होकर प्रसन्न
तुम बिन होगा नही कोई आयोजन
कार्तिकेय के हो प्रिय अनुज भ्राता
जय गजानन जय गणपति देवता
श्री हरि विवाह में, विघ्न तुम दीजे
श्री हरि जी भी प्रथम तुम्हें ही पूजे
महागौरी पार्वती जी तुम्हारी माता
जय गजानन जय गणपति देवता
पूजन करें जो कोई प्रथम तुम्हारा
विघ्न दूर रहे सारे मिले उन्हें सहारा
हर्षित होकर जब हर कोई बोलता
जय गजानन जय गणपति देवता
मीनाक्षी शर्मा ‘ मनुश्री’
गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)