जलवायु अनुकूल कृषि तकनिकियो से बढेगी फसलों की पैदावारः डा एनके बाजपेयी
बांदा कृषि एवं प्रौद्योंगक विश्वविद्यालय, बांदा के अर्न्तगत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा आज जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय पहल (निकरा) परियोजना शुभारम्भ के अवसर पर जलवायु जागरूकता अभियान एवं कृषक गोष्ठी का आयोजन अंगीकृत ग्राम चौधरी डेरा (खप्टिहा कलॉ) में किया गया।

बांदा। बांदा कृषि एवं प्रौद्योंगक विश्वविद्यालय, बांदा के अर्न्तगत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा आज जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय पहल (निकरा) परियोजना शुभारम्भ के अवसर पर जलवायु जागरूकता अभियान एवं कृषक गोष्ठी का आयोजन अंगीकृत ग्राम चौधरी डेरा (खप्टिहा कलॉ) में किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार प्रो0 (डा0) एन0के0 बाजपेयी ने की एवं मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती मैना देवी, ग्राम प्रधान और विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री बलराम सिंह कछवाह, सदस्य, प्रबंध समिति, अटारी कानपुर व विश्वविद्यालय के सह निदेशक प्रसार डा0 नरेन्द्र सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ मा0 अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। तदोपरान्त केन्द्र के अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह ने निकरा परियोजना के बारे में अवगत कराते हुय बताया कि कृषि एक जलवायु आधारित उद्योग है। पिछले कुछ दशकों से जलवायु में परिर्वतन के कारण फसलों पर इसके प्रभाव एवं उत्पादन में कमी आ रही है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने हेतु भारत सरकार द्वारा निकरा परियोजना का शुभारम्भ 2 जनवरी, 2011 में किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य फसलों, बागानों, पशुपालन एवं मछलीपालन पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिये उपलब्ध तकनीकियों को प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण के माध्यम से कृषकों को जागरूक कर अपनाने हेतु प्रेरित करना है।
तदोपरन्त केन्द्र की वैज्ञानिक डा0 दीक्षा पटेल ने अंगीकृत ग्राम चौधरी डेरा की मौसम सम्बन्धी सामान्य जानकारी से सभी को अवगत कराया। उन्होने बताया कि चौधरी डेरा ग्राम में वर्ष 1978, 1992, 1995 एवं 2005 में भीषण बाढ आयी थी तथा सन् 1979 को सूखा पडा था एवं पिछले वर्ष रबी में ओलावृष्टि के कारण लगभग 40ः रबी फसलों का नुकसान हुआ था। इन सब आकडों को देखते हुये ग्राम को अंगीकृत किया गया था। उन्होने केन्द्र की ग्राम हेतु कार्ययोजना से भी अवगत कराया। डा0 नरेन्द्र सिंह ने बताया कि बुन्देलखण्ड में लगभग 900-1000 मि0मी0 प्रतिवर्ष वर्षा होती है जोकि सूखा प्रभावित क्षेत्र की श्रेणी में नहीं आता है। वर्षा के पानी को संरक्षित करने हेतु कृषकों को प्रेरित किया। उन्होने मृदा को मूलधन एवं फसल उत्पादन को ब्याज बताया और कृषकों से मृदा स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की बात कही। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री बलराम सिंह कछवाह ने कृषकों का आवाहन किया कि वे वैज्ञानिक तरीके से खेती करें और केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा किसान हित में चलायी जा रही योजनाओं का लाभ उठायें।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डा0 एन0के0 बाजपेयी ने बुन्देलखण्ड के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुये कहा कि बुन्देलखण्ड में समृद्धि लाने के लिये यहां के लोगों को ही कार्य करना होगा। उन्होनें गौ आधारित प्राकृति खेती को अपनाने के लिये कृषकों को प्रेरित किया साथ ही बगीचों को किसानों की पेंशन बताया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ग्राम प्रधान श्रीमती मैना देवी ने चौधरी डेरा को चयनित होने पर केन्द्र का अभार व्यक्त किया तथा यथासम्भव सहयोग देने का आश्वासन भी दिया। इस कार्यक्रम में कृषकों को जलवायु अनुकूल कृषि निवेशों का वितरण भी माननीय अतिथियों द्वारा किया गया जिसमें मूंग का बीज, पोषणवाटिका किट, चूजे (कडकनाथ), मिनरल मिक्चर आदि शामिल है। कार्यक्रम के अन्त में डा0 मंजुल पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यक्रम में लगभग 250 कृषको/महिला कृषकों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन डा0 मानवेन्द्र सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डा0 प्रज्ञा ओझा, धर्मेन्द कुमार का विशेष योगदान रहा।
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