नए सत्र से परिषदीय विद्यालयों में शुरू वैदिक गणित की पढ़ाई
वैदिक गणित से कम समय में बड़ी से बड़ी गणना आसानी से की जा सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए एससीईआरटी ने अपनी कार्य योजना में वैदिक गणित को शामिल किया है।

- राज्य शिक्षा संस्थान में शिक्षकों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
लखनऊ/कानपुर देहात। वैदिक गणित से कम समय में बड़ी से बड़ी गणना आसानी से की जा सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए एससीईआरटी ने अपनी कार्य योजना में वैदिक गणित को शामिल किया है। परिषदीय स्कूलों की प्राथमिक कक्षाओं में नए सत्र से इसकी पढ़ाई शुरू होनी है। वैदिक गणित का प्रशिक्षण देने के लिए राज्य शिक्षा संस्थान एलनगंज में 11 सितंबर से शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसका समापन एक अक्तूबर को होगा।
संस्थान की सहायक उप शिक्षा निदेशिका डॉ. दीप्ति मिश्रा ने बताया कि वैदिक गणित को समझाने के लिए विशेषज्ञों द्वारा विशेष रूप से मॉड्यूल तैयार कराया गया है। इसमें वैदिक गणित का परिचय, जोड़, घटाव व गुणन संक्रिया, लघुत्तम समापवर्त्य, महत्तम समापवर्त्य को प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाया जाएगा। प्राथमिक स्तर पर कक्षा तीन, चार और पांच में वैदिक गणित सिखाने के लिए सभी 75 जिलों से एक डायट प्रवक्ता, दो प्राथमिक कक्षाओं के शिक्षक को मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह सभी प्रशिक्षित शिक्षक अपने जिलों में जाकर अन्य शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे।
वैदिक गणित, गणित की एक प्राचीन प्रणाली का नाम है। यह सामान्य नियमों और सिद्धांतों पर आधारित गणना की एक अद्वितीय विधि है। शोध और लेखों के आधार पर बीजगणित, लघुगणक, वर्गमूल, घनमूल आदि गणना की विभिन्न विधियों और शून्य की परिकल्पना रखी गई थी।
इसमें सोलह सूत्र है। इससे कई गणनाओं को आसानी से और मौखिक रूप में हल किया जा सकता है। इससे बीजगणित और रेखागणित के सवाल हल करने में मिलती है। वैदिक गणित के जरिए गणनाएं आसान हो जाती हैं। समय भी कम लगता है। यह गणित की वैज्ञानिक प्रणाली है। इसका प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थी भी लाभ उठा सकते हैं। इससे बीजगणित, रेखागणित कैलकुलस को हल करने में आसानी होती है।
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