अमन यात्रा, अकबरपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय द्वारा वित्त पोषित शैक्षणिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के द्वितीय दिवस लोकप्रिय विज्ञान लेखन कार्यशाला का आयोजन हुआ तत्पश्चात जॉयफुल साइंस थ्रू पप्पेट्री पर डेमोंसट्रेशन के साथ व्याख्यान हुआ।कार्यक्रम के प्रथम सत्र में विभिन्न वक्ताओं ने लेखन कौशल की उपयोगिता पर प्रकाश डाला तथा कहा कि डिजिटल मीडिया के इस युग में त्रुटि रहित लेखन में काफी कमी आई है।
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कार्यक्रम के प्रथम चरण में मुख्य अतिथि के रुप में पधारे रामस्वरूप ग्रामोद्योग स्नातकोत्तर महाविद्यालय पुखरायां के पूर्व प्राचार्य एवं प्रोफेसर मुकेश चंद्र द्विवेदी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान समय में इंटरमीडिएट कॉलेज के विद्यार्थी ठीक प्रकार से पत्र या प्रार्थना पत्र को भी नहीं लिख पाते हैं जो कि बहुत ही चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर से ही लेखन कौशल के विकास पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इस कार्यशाला में इस प्रकार के विषयों पर चिंतन किया जा रहा है जोकि एक अच्छी पहल साबित हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने शैक्षणिक खंड के उपाय एवं सावधानियों की भी चर्चा की तथा बताया कि एक विद्यार्थी में किन किन कौशलों का होना आवश्यक है।
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कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अरविंद कुमार सिंह की उपस्थित रही। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न उत्तरदायित्वों की चर्चा की तथा कहा कि लेखन कार्य कई प्रकार से किया जा सकता है। प्रत्येक माध्यम के लिए लेखन की एक विशिष्ट विधा होती है, इसकी जानकारी हम सभी को होनी चाहिए। समाचार पत्र, पत्रिका, रेडियो, टेलीविजन एवं सोशल मीडिया आदि के लिए लेखन करने हेतु विशिष्टता की आवश्यकता है। विज्ञान संचार के क्षेत्र में सूचनाओं की प्रामाणिकता एवं विश्वसनीयता आवश्यकता है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रुप में पधारे बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के सहायक आचार्य डॉ कुंवर सुरेंद्र बहादुर ने विद्यार्थियों में विज्ञान विषय के प्रति रुचि जागृत करने हेतु गतिविधियों की चर्चा की तथा उनको अध्ययन के दौरान ध्यान केंद्रित करने हेतु प्रेरित किया।
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लखनऊ से द्वितीय तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में पधारी विज्ञान संचारक एवं पुतुल कला विशेषज्ञ सुश्री माया मिश्रा ने जॉयफुल साइंस थ्रू पपेट्री विषय पर जमुआ स्टेशन के साथ व्याख्यान दिया डेमोंसट्रेशन के साथ व्याख्यान दिया तथा बताया कि कठपुतलियां किस प्रकार हास्य के साथ रोचकपूर्ण संदेशों का संचार करती हैं। जब संचार की विषय वस्तु में वैज्ञानिक पक्षियों का समावेश कर दिया जाता है तो वह प्रभावी विज्ञान संचार बन जाता है। उन्होंने विभिन्न स्क्रिप्ट्स के माध्यम से कठपुतली द्वारा विज्ञान संचार का डेमोंसट्रेशन किया एवं समस्त प्रतिभागियों को आकर्षित एवं प्रभावित किया। इससे पूर्व कार्यशाला संयोजक डॉ. विकास मिश्रा ने संचार और जोखिम के संबंध में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया तथा बताया कि एक छोटी सी लापरवाही बड़े दंगों एवं फ़सादों को जन्म दे सकती है।
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कार्यक्रम की सह संयोजक एवं बी.एड. विभाग की सहायक आचार्य डॉ. अर्चना द्विवेदी ने प्रतिभागियों को विभिन्न दिशा निर्देश देते हुए प्रशिक्षण से जोड़े रखा तथा उनका मार्गदर्शन किया। पश्चात कार्यशाला संयोजक डॉ. विकास मिश्रा ने समस्त अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संचालित करने में डॉ. अभिनव सिंह, डॉ. अर्चना द्विवेदी, सोनी कुशवाहा, अनुराधा सिंह, डॉ. देवदत्त शुक्ला, मनोज सोनकर, मंजू अग्निहोत्री, डॉ. प्रभा गुप्ता, मुकुल दुबे, नीरज अवस्थी, डॉ. सीमा द्विवेदी, रत्नेश कुमार, अरविंद दीक्षित उर्फ भोले, ईश्वर चंद्र, अखिलेश कुमार, पवन कुमार, सर्वेश कुमार आदि का सराहनीय योगदान रहा।
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