नवरात्रि व दशहरा के बाद टेसू व झेंझी लेकर निकली बच्चों की टोली
नवरात्रि व दशहरा पर्व के बाद कस्बे में बच्चों की टोलियां टेसू लेकर निकल पड़ीं हैं।बालिकाओं की टोलियां झेंझी लेकर गली मोहल्लों में घूम रही हैं।

ब्रजेंद्र तिवारी, संदलपुर। नवरात्रि व दशहरा पर्व के बाद कस्बे में बच्चों की टोलियां टेसू लेकर निकल पड़ीं हैं।बालिकाओं की टोलियां झेंझी लेकर गली मोहल्लों में घूम रही हैं।शरद पूर्णिमा पर कई स्थानों पर टेसू झेंझी के विवाह के आयोजनों की धूम रहेगी।क्षेत्रीय लोगों का मानना है कि टेसू-झेंझी के ब्याह के बाद से शादी का दौर शुरू हो जाता है।
लोक महोत्सवों में टेसू झेंझी एवं इनका विवाह खासा लोकप्रिय है।ग्रामीण और कुछ शहरी क्षेत्रों में टेसू-झेंझी का खेल परंपरागत तरीके से खेला जाता है।बच्चों एवं युवाओं की गांव के सभी प्रमुख गलियों व दुकानों पर टेसू लेकर निकलते हैं।टेसू लेकर बच्चे ‘टेसू मेरा यहीं खड़ा,मांग रहा है दहीबड़ा…’ जैसे कई क्षेत्रीय गीत गाते हैं।ये बच्चे टेसू के विवाह के लिए रुपये जुटाते हैं।वहीं बालिकाओं की टोली,‘मेरी झेंझी को रचो है ब्याह…’ जैसे क्षेत्रीय गीत गातीं नजर आईं।
शरद पूर्णिमा पर विधि-विधान एवं रस्मों के साथ टेसू-झेंझी का विवाह कर दिया जाता है।वही कुम्हार इनको बना कर तैयार कर चुके जो अब बच्चे एवं बालिकाएं इन्हें खरीदने आ रही है वहीं कुम्हार द्वारा इसकी कीमत 100 रुपए निश्चित की गई है।
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