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टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ बेसिक शिक्षकों का विरोध जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन

उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ के राष्ट्रीय एवं प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी के निर्देश पर पूरे राज्य के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन आयोजित हुआ।

राजेश कटियार,कानपुर देहात। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्यता को लेकर प्रदेश भर के शिक्षकों में रोष है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के विरोध में गुरुवार को जनपद के हजारों शिक्षक-शिक्षिकाओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से केंद्र सरकार को संबोधित ज्ञापन सौंपा। शिक्षकों ने मांग की है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन कर पुराने शिक्षकों को टीईटी उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता से मुक्त किया जाए अन्यथा लाखों शिक्षक-शिक्षिकाओं की नौकरी चली जायेगी। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सेवाकालीन शिक्षकों पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) अनिवार्य करने के आदेश के खिलाफ गुरुवार को प्रदेशभर में शिक्षकों का आक्रोश सड़कों पर दिखा। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ के राष्ट्रीय एवं प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी के निर्देश पर पूरे राज्य के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन आयोजित हुआ।

इसी क्रम में कानपुर देहात में जिलाध्यक्ष अशोक सिंह राजावत के नेतृत्व में हजारों शिक्षक जिला मुख्यालय पहुंचे और विशाल धरना-प्रदर्शन किया। जिलाधिकारी कार्यालय परिसर टेट का अन्याय नहीं सहेंगे और शिक्षक सम्मान की रक्षा करो जैसे गगनभेदी नारों से देर तक गूंजता रहा। धरना स्थल पर संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष अशोक सिंह राजावत ने कहा कि शिक्षकों ने वर्षों की सेवा और अनुभव से बेसिक स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है। अब उन्हें टेट के नाम पर अपमानित करना न केवल अन्याय है बल्कि शिक्षक समाज के अस्तित्व पर हमला है। हम सेवा समाप्ति या किसी भी प्रकार के अन्यायपूर्ण आदेश को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। धरना-प्रदर्शन के बाद संघ पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय शिक्षा मंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। ज्ञापन में प्रमुख मांगें रखी गईं जिसमे कहा गया कि 23 अगस्त 2010 एवं शिक्षा अधिकार अधिनियम 2011 से पूर्व नियुक्त सभी शिक्षकों को टेट से छूट दी जाए। सेवाकालीन शिक्षकों की सेवा सुरक्षा हेतु संसद में तत्काल विधायी संशोधन लाया जाए। देश भर के लगभग 40 लाख शिक्षकों एवं उनके परिवारों के भविष्य को सुरक्षित किया जाए।

संगठन के मीडिया प्रभारी पुष्पेंद्र कुमार ने बताया कि यदि सरकार ने शीघ्र निर्णय नहीं लिया तो यह संघर्ष केवल कानपुर देहात तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि प्रदेशव्यापी और राष्ट्रव्यापी आंदोलन का रूप ले लेगा। यह आंदोलन न केवल शिक्षकों की नौकरी की सुरक्षा का सवाल है बल्कि उनके आत्मसम्मान की लड़ाई भी बन गया है। धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व जिलाध्यक्ष अशोक सिंह राजावत, महामंत्री रामकुमार कटियार, कोषाध्यक्ष राहत अली और संरक्षक संजय सचान ने किया। इस अवसर पर प्रमोद पांडे (मंडलीय महामंत्री), संजय वर्मा (मंडलीय उपाध्यक्ष), धीरेंद सिंह चौहान (मंडलीय उपाध्यक्ष), हंसराज सोनकर (मंडलीय संयुक्त मंत्री) बसंत कटियार (मंडलीय संयुक्त मंत्री), सतेंद्र तिवारी (मंडलीय संयुक्त मंत्री) वरिष्ठ उपाध्यक्ष कामता सिंह, उपाध्यक्ष जयपाल सिंह, अनिल प्रजापति, जितेंद्र कुमार पाल, निरुपम तिवारी, पुष्पेन्द्र कुमार (उपाध्यक्ष/ मीडिया प्रभारी), अरविंद सिंह बौद्ध, सलिल द्विवेदी, देवेंद्र कर्णधार, रूपा मिश्रा (उपाध्यक्ष), संयुक्त मंत्री अतुल कुमार पाल, पवन सिंह प्रजापति, रंजीत कुमार, दिनेश सिंह यादव, नरेश सिंह, सुशील कुमार, अनिल सोनकर, विष्णु पाल, लेखाकार शैलेन्द्र कुमार, कार्यालय मंत्री रामनरेश पाल, विजय राठौर और दिनेश शर्मा, राकेश गौतम (मंत्री मैथा), प्रताप भानु (मंत्री अकबरपुर), हेमंत कुमार (मंत्री संदलपुर) रामनरेश कठेरिया (अध्यक्ष रसूलाबाद) जावेद अली (मंत्री रसूलाबाद), पियूष मिश्रा (अध्यक्ष डेरापुर), सुधीर कटियार (मंत्री डेरापुर), धर्मेंद्र सिंह (अध्यक्ष सरवनखेड़ा), चंदवीर पाल (मंत्री सरवनखेड़ा), विकास सिंघल (अध्यक्ष झींझक), मनोज कुमार (मंत्री झींझक), कृष्णपाल यादव (अध्यक्ष अमरौधा), श्याम नारायण (मंत्री अमरौधा), सर्वेश कटियार (अध्यक्ष मलासा), अजीत सिंह (अध्यक्ष राजपुर), अंजनी कटियार (मंत्री राजपुर), शैलेश त्रिपाठी (पूर्व ब्लाक अध्यक्ष), अमित शर्मा, अरविंद शर्मा, आदि पदाधिकारियों समेत हजारों की संख्या में शिक्षक मौजूद रहे।

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Author: aman yatra


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