टीईटी अनिवार्य के सुप्रीम आदेश से पूरे देश से प्रभावित होंगे 15 लाख से अधिक शिक्षक
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने जताई गहरी चिंता, सरकार तुरंत करे विचार

कानपुर देहात। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश से देशभर के लगभग 15 लाख से अधिक शिक्षक प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि आरटीई अधिनियम 2009 लागू होने से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को भी सेवा में बने रहने और पदोन्नति प्राप्त करने के लिए टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास करना अनिवार्य होगा।
आदेश के अनुसार जिनकी सेवानिवृति में 5 वर्ष से कम शेष हैं, वे बिना टीईटी पास किए कार्यकाल पूर्ण कर सकेंगे। लेकिन पदोन्नति का लाभ नहीं मिलेगा। जिनकी सेवा में 5 वर्ष से अधिक शेष है, उन्हें 2 वर्षों के भीतर टीईटी उत्तीर्ण करना होगा, अन्यथा सेवा समाप्त हो सकती है।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, कानपुर देहात ने इस आदेश को अनुभवी शिक्षकों की गरिमा और आत्मसम्मान पर सीधी चोट बताया है। संगठन का कहना है कि 20 – 30 वर्षों से निष्ठा और समर्पण के साथ शिक्षा दे रहे शिक्षकों की योग्यता को केवल एक परीक्षा के आधार पर नकारना न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि शिक्षा व्यवस्था के लिए भी घातक सिद्ध होगा।
संगठन की माँग रहेगी कि आर टी ई लागू होने से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से स्थायी छूट मिले। 15 से 20 वर्ष अथवा उससे अधिक सेवा करने वाले शिक्षकों को अनुभव आधारित मान्यता प्रदान की जाए। संगठन द्वारा सरकार को नीतिगत व प्रशासनिक सुझाव है कि संगठन सरकार को आग्रहपूर्वक सुझाव देता है कि कोर्ट में इस आदेश की पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए, उक्त आदेश से लाखों शिक्षकों का भविष्य संकट में है और इसे पिछले समय से लागू करना उचित नहीं है।
जिलाध्यक्ष मनोज कुमार शुक्ला ने कहा कि यह आदेश उन लाखों शिक्षकों की सेवा भावना और समर्पण की अवहेलना करता है जिन्होंने दशकों तक शिक्षा की मशाल प्रज्ज्वलित रखी है। महासंघ सभी शिक्षक साथियों से एकजुट होकर इस चुनौती का सामना करने का आह्वान करता है।
संगठन मंत्री अनन्त त्रिवेदी ने कहा कि शिक्षकों का अनुभव ही उनकी सबसे बड़ी पूँजी है। उसे एक परीक्षा से आँकना अन्याय पूर्ण होगा।
महामंत्री सुनील कुमार ने कहा कि यदि इस आदेश को ज्यों का त्यों लागू किया गया तो लाखों परिवार आर्थिक और मानसिक संकट में आ जाएंगे। संगठन सरकार से तुरंत समाधान किए जाने की माँग करता है।
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