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कानपुर देहात

टीईटी प्रकरण में शिक्षक संगठन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, टेट परीक्षा से आखिर क्यों डर रहे हैं शिक्षक

शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के निर्णय से प्रभावित शिक्षक सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने लगे हैं।

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aman yatra

कानपुर देहात। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को लेकर दिए गए फैसले से शिक्षकों में भारी रोष है। शिक्षकों के लिए तय की गई टीईटी के नियम की बाध्यता उनके गले की फांस बन गई है। शिक्षक महकमा संवैधानिक दायरे में रहकर कानूनी लड़ाई की तैयारी में लगा हुआ है। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के निर्णय से प्रभावित शिक्षक सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने लगे हैं।

प्रदेश सरकार के पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के बाद यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है जबकि कुछ और शिक्षक संगठन भी इसके लिए तैयारी कर रहे हैं। हाल ही में लिए गए निर्णय से शिक्षकों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है वह स्कूलों में बच्चों को पढ़ाएं या फिर शिक्षक पात्रता परीक्षा की तैयारी करें। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अब उन सभी बेसिक शिक्षकों को भी टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया है जिन्हें आरटीई एक्ट 2009 लागू होने से पहले नियुक्त किया गया था।

ऐसे में 15-20 वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षक भी अब नौकरी बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं। शिक्षकों का कहना है कि इस नियम से एक-दो शिक्षक नहीं बल्कि लाखों शिक्षक तनाव में आ गए हैं। अगर शिक्षक नियमों में उलझे तो बहुतों की नौकरी दांव पर लग जाएगी।

संकट में फंसे शिक्षक, कैसे हो समाधान-

शिक्षकों का कहना है कि इस निर्णय ने शिक्षकों का चैन छीन लिया है। एक तो सरकार ने शिक्षकों पर सरकारी कामों का बोझ लाद रखा है ऊपर से टीईटी का नियम उनके लिए जी का जंजाल बन गया है। सबसे बड़ी समस्या उन शिक्षकों के सामने है जिन्होंने 12वीं के बाद बीटीसी कर नौकरी पाई थी। इतना ही नहीं मृतक आश्रित कोटे से नियुक्त शिक्षक, इंटरमीडिएट के साथ बीटीसी करने वाले गुरुजन और वह शिक्षक भी शामिल हैं जो स्नातक तक की पढ़ाई पूरी नहीं कर सके। जब कुछ शिक्षकों के पास स्नातक की डिग्री ही नहीं है तो वे टीईटी कैसे देंगे? नौकरी और पदोन्नति पर संकट से परेशान शिक्षकों का कहना है कि फैसले के अनुसार जिन शिक्षकों ने अभी तक टीईटी पास नहीं किया है उन्हें दो वर्षों के भीतर परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी अन्यथा नौकरी चली जाएगी। वहीं जिन शिक्षकों के सेवानिवृत्ति में मात्र पांच साल बचे हैं उन्हें बिना टीईटी पास किए पदोन्नति नहीं मिलेगी। यह स्थिति उन शिक्षकों के लिए और भी अधिक परेशान करने वाली है जिन्होंने जीवन के सुनहरे साल बच्चों को शिक्षित करने में लगा दिए और अब बुढ़ापे की देहरी पर खड़े होकर असुरक्षा की खाई में धकेले जा रहे हैं।

मिनिमम क्वालिफिकेशन है तो फिर टीईटी क्यों-

कानपुर देहात समेत पूरे उत्तर प्रदेश के शिक्षक इस फैसले से आहत हैं। शिक्षकों का मानना है कि यह आदेश उनके जीवन के अधिकार और आजीविका के अधिकार का हनन है। शिक्षक संगठन संवैधानिक दायरे में रहकर कानूनी लड़ाई की तैयारी में जुट गए हैं। शिक्षकों का कहना है कि वे शिक्षा व्यवस्था को बाधित नहीं करना चाहते लेकिन अपने भविष्य और परिवार की आजीविका बचाने को संघर्ष करना मजबूरी है। अधिकतर शिक्षक आरटीई के तहत मिनिमम क्वालिफिकेशन को पूरा करते हैं, इसके बावजूद टीईटी का बोझ सिर पर लादा जा रहा है। पहले बीएड को प्राथमिक शिक्षा से अलग किया गया और अब इस बाध्यता ने परेशानी खड़ी कर दी है। भर्ती के दौरान पहले शिक्षकों को बीएड के साथ विशिष्ट बीटीसी भी करना था, कुछ ने ब्रिज कोर्स भी किया, नियम बदलते गए और शिक्षक उनमें ढलते गए लेकिन अब नौकरी पर बात आ गई है। शिक्षकों का कहना है कि जिस शिक्षक ने दो दशक से ज्यादा गांव के स्कूल में बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाया, जो सुबह से शाम तक चॉक-डस्टर में लिपटा रहा, अब वही शिक्षक अपनी नौकरी बचाने के लिए अदालत की चौखट पर खड़ा है। क्या यह न्यायसंगत है कि जो कल तक गुरु कहला रहा था, आज अपनी योग्यता पर सवालों से घिरा है। सरकार को इस बारे में सोचना होगा।

एक शिक्षामित्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि आखिर शिक्षक टेट से डर क्यों रहे रहें हैं जब 50 और 55 साल के शिक्षामित्रों ने टेट और सुपर टेट पास किया तो शिक्षक तो शिक्षामित्रों से योग्य हैं और सबसे बडी बात आज जमाना तेजी से बदल रहा है हर किसी को अपडेट होते रहना है, अगर सही तरीके से शिक्षा देनी है तो अपडेट तो होना ही पड़ेगा और आपको तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करना चाहिए कि उन्होंने आपकी एक से डेढ लाख सैलरी बहाल करके ही टेट का मौका दिया है जबकि शिक्षामित्रों से तो सैलरी रोककर टेट और सुपर टेट निकालने को कहा गया था इसलिए आप सभी यह साबित कर दो। आप लोग भी शिक्षामित्रों की तरह योग्य हो आपको मांग करनी चाहिए कि हम पर भी शिक्षामित्रों की तरह टेट के बाद सुपर टेट और लगाया जाए जिससे समाज मे संदेश जाए हां हम योग्य हैं। जब शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक पद से हटाया था तब आप लोग योग्यता की दुहाई दे रहे थे अब आपकी योग्यता कहा गई।

Author: aman yatra

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