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राजेश कटियार, कानपुर देहात। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों की नौकरी जारी रखने और पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) पास करना अनिवार्य कर दिया है। इस निर्णय से उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश के स्कूलों में कार्य कर रहे लाखों शिक्षकों के लिए यह पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए देश भर के अलग-अलग राज्यों द्वारा निवेदन किया गया है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे अन्य राज्यों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। केंद्र सरकार भी इस मामले पर जल्द निर्णय लेगी।
स्कूल शिक्षा निदेशालय ने इसको लेकर सभी जिलों से शिक्षकों का रिकार्ड मांगा है। इसमें पूछा गया कि कितने शिक्षक ऐसे हैं जिनके पास टेट नहीं है। इस मामले को लेकर विधि विभाग से भी राय ली जा रही है। विधि विभाग की राय आने के बाद ही यह तय किया जाएगा कि इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका में किन-किन बिंदुओं पर क्या-क्या कार्यवाही की जाए। एक सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाने वाले सभी सरकारी-प्राइवेट शिक्षकों के लिए टेट अनिवार्य कर दिया था।
पांच साल की सर्विस वालों को नहीं आदेश का फर्क-
जिन शिक्षकों के सेवानिवृति की आयु में पांच साल से अधिक का समय है उन्हें यह परीक्षा पास करनी होगी। जिनकी सेवा के केवल पांच साल बचे हैं उनके ऊपर इस आदेश का फर्क नहीं पड़ेगा। परीक्षा पास न करने वाले शिक्षकों को नौकरी छोड़नी पड़ेगी।
यह है मकसद-
इसका उद्देश्य यह तय करना है कि स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक न सिर्फ अकादमिक रूप से योग्य हों बल्कि शिक्षण-प्रशिक्षण की दृष्टि से भी मानकों पर खरे उतरें। शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि बिना टेट पास शिक्षक बच्चों की नींव को मजबूत करने में सक्षम नहीं होंगे। कुल मिलाकर केंद्र सरकार की यह पहल शिक्षा व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी व मानकीकृत बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। आने वाले दिनों में आंकड़ा सामने आने के बाद यह तय होगा कि कितने शिक्षक सीधे प्रभावित होंगे। सभी श्रेणियों के शिक्षकों को टेट पास करना अनिवार्य है।
जिलों से आंकड़े आने के बाद होगी तस्वीर साफ-
शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र में कार्यरत बिना टेट पास शिक्षकों का रिकॉर्ड तुरंत उपलब्ध करवाएं। आंकड़े आने के बाद सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी।
पुनर्विचार याचिका को लेकर योगी सरकार को मिली नोटिस –
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दाखिल रिव्यू पिटीशन में प्रारम्भिक स्तर पर कुछ डिफेक्ट्स पाए गए थे। रजिस्ट्री ने उन डिफेक्ट्स को निराकृत (क्लियर) करने का समय दिया है और प्रकरण को 3 नवंबर 2025 तक पुनः प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया है।
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