टेट की अनिवार्यता के फैसले ने 2011 के पहले नियुक्त हुए शिक्षकों की बढ़ा दी टेंशन, जब फॉर्म ही नहीं भर पाएंगे तो कैसे देंगे टेट एक्जाम
इस फैसले से 2011 से पहले नियुक्त हुए शिक्षक सबसे अधिक प्रभावित हैं।

राजेश कटियार, कानपुर देहात। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद लाखों पुराने शिक्षकों की नौकरी पर संकट आ गया है क्योंकि अब उन्हें दो वर्ष के भीतर टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस फैसले से 2011 से पहले नियुक्त हुए शिक्षक सबसे अधिक प्रभावित हैं। विभिन्न शिक्षक संगठन इस संकट से निपटने के लिए रणनीति बना रहे हैं हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में परिवर्तन हो पाना संभव नहीं दिख रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश-
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निर्देश दिया है कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को नौकरी में बने रहने के लिए दो वर्ष के भीतर टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास करना जरूरी होगा। यदि शिक्षक निर्धारित समय में यह परीक्षा पास नहीं करते हैं तो उनकी नौकरी समाप्त हो जाएगी यानी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। सिर्फ वे शिक्षक जिनकी पांच साल की सेवा ही बची है, उन्हें टीईटी से छूट मिलेगी, लेकिन प्रोन्नति के लिए उन्हें भी टीईटी पास करना आवश्यक रहेगा।
इससे प्रभावित शिक्षक-
यह निर्णय विशेष रूप से उन शिक्षकों के लिए परेशानी का कारण बना है जिन्हें 2011 से पहले नियुक्त किया गया था। 2011 के बाद नियुक्त सभी शिक्षक पहले से ही टीईटी पास हैं लेकिन पुराने शिक्षकों को अब अनिवार्य रूप से यह परीक्षा देनी होगी, चाहे उनकी नौकरी कितनी भी पुरानी क्यों न हो। कई शिक्षक उम्र का बड़ा हिस्सा पार कर चुके हैं और बदलते पाठ्यक्रम के साथ टीईटी पास करना उनके लिए कठिन साबित हो सकता है।
शिक्षक संघ की रणनीति-
शिक्षक संगठनों ने इस समस्या से निपटने के लिए दो प्रमुख रणनीतियाँ बनाई हैं—
पहली: सरकार पर दबाव बनाना कि नियुक्ति के समय जिन शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता नहीं थी उनके लिए अब यह जरूरी न किया जाए। इसके लिए नियमों और सेवा शर्तों में बदलाव की मांग की जाएगी।
दूसरी: कानूनी विकल्पों पर विचार, जिसमें रिव्यू पेटीशन, जजमेंट की क्लैरिफिकेशन अर्जी या समय बढ़ाने की मांग वाली अर्जियाँ दाखिल करने की योजना है। सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के लिए 30 दिन का समय है इस पर भी विचार चल रहा है।
व्यवहारिक दिक्कतें-
कुछ शिक्षक जैसे मृतक आश्रित, सिर्फ इंटरमीडिएट पास शिक्षक, इंटरमीडिएट और स्नातक का कम अंक प्रतिशत, डीपीएड-बीपीएड डिग्रीधारी आदि टीईटी के लिए आवेदन कर ही नहीं सकते क्योंकि उनकी योग्यता टीईटी की न्यूनतम शर्तों को पूरा नहीं करती। राज्य और केंद्रीय टीईटी की आयु सीमा पार कर चुके कई शिक्षक भी परीक्षा देने के योग्य नहीं रह गए हैं। इन समूहों की समस्याएं शिक्षक संघ के प्रतिनिधि सरकार और कोर्ट के सामने रखेंगे जिससे व्यवहारिक राहत मिल सके।
शिक्षक संघ और प्रभावित शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पैदा हुई व्यावहारिक समस्याओं का समाधान निकालने के लिए कोशिशें कर रहे हैं, जिसमें सरकार को नियम बदलने के लिए मनाना, कानूनी विकल्प अपनाना और कोर्ट में विशेष याचिकाएं दाखिल करना शामिल है। इसी पर चर्चा जारी है कि किस तरह पुराने शिक्षकों की नौकरी बचाई जा सकती है ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे।
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