हमीरपुरउत्तरप्रदेश
डॉक्टर भवानीदीन ने कहा कि सान्याल को सान्गठनिक क्षेत्र मे महारत हासिल था
आजादी के अमृत महोत्सव के माहात्म्य को देखते हुये 1908 मे मात्र 15 वर्ष की अवस्था मे काशी मे अनुशीलन समिति का गठन किया था.
हमीरपुर,अमन यात्रा – सुमेरपुर आजादी के अमृत महोत्सव के माहात्म्य को देखते हुये वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत आजादी के संघर्ष और संगठन के महान सूरमा शचीन्द्र नाथ सान्याल के जन्मदिन 3 जून के अवसर पर अपने संबोधन मे संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर भवानीदीन ने कहा कि सान्याल को सान्गठनिक क्षेत्र मे महारत हासिल था,बेमिसाल संगठन क्षमता के धनी सान्याल ने 1908 मे मात्र 15 वर्ष की अवस्था मे काशी मे अनुशीलन समिति का गठन किया था,जो बंगाल अनुशीलन समिति की एक शाखा थी,उसके बाद सान्याल ने 1923 मे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की थी,जिसे भगतसिंह एवं उनके मित्रो ने आगे चलकर हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ के रूप मे पहचान दी थी, इनके पिता हरिनाथ सान्याल ने अपने अन्य तीन पुत्रों को भी अनुशीलन समिति से जुडने के लिये प्रेरित किया था,
सान्याल बालजीवन से ही देश को स्वाधीन कराने के लिए संकल्पित हो चुके थे,अपने इसी संकल्प को लेकर सान्याल देश की आजादी के लिए भारत और भारत के बाहर लडते रहे, प्रसिद्ध क्रातिकारी रासबिहारी बोस के साथ मिलकर 21 फरवरी 1915 को पूरे देश मे विद्रोह करने की रणनीति बनायी, भितरघातियों के कारण यह योजना विफल हो गयी। ये कुछ दिनों बाद पकडे गये, सान्याल को आजन्म कारावास की सजा मिली।कुछ वर्षों बाद ये जेल से मुक्त हो गये।सान्याल कुछ समय बाद पुनः क्रातिकारी गतिविधियों मे जुट गये,इन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया, सान्याल को पुनः आजन्म कारावास की सजा मिली, ये पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल मे रहे, बाद मे सान्याल को गोरखपुर जेल लाया गया,1937-38 मे काग्रेसी सरकार ने राजनैतिक कैदियों को रिहा किया,
ये भी रिहा हो गये, लगातार कठोर श्रम के कारण इन्हें टी बी हो गयी,03 जून 1893 को बनारस मे जन्मे सान्याल का 1942 मे 49 की उम्र मे निधन हो गया, इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, अशोक अवस्थी, राजकुमार सोनी सर्राफ, रमेशचंद्र गुप्ता, दिलीप अवस्थी एवं पूर्व पुलिस उपनिरीक्षक पाल आदि उपस्थित रहे।