कानपुर देहात

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर भाजपा कानपुर देहात ने किया गोष्ठी का आयोजन: ‘एक विधान, एक निशान, एक प्रधान’ के संकल्प को किया याद

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कानपुर देहात इकाई ने आज डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के अवसर पर पार्टी कार्यालय माती में एक संगोष्ठी का आयोजन किया।

कानपुर देहात: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कानपुर देहात इकाई ने आज डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के अवसर पर पार्टी कार्यालय माती में एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर भाजपा नेताओं ने डॉ. मुखर्जी के महान व्यक्तित्व और राष्ट्र के प्रति उनके अतुलनीय योगदान को याद किया। कार्यक्रम का शुभारंभ क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल, जिला अध्यक्ष रेणुका सचान, और राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्पांजलि और दीप प्रज्वलित कर किया।

क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपना जीवन राष्ट्र की एकता, अखंडता और अक्षुण्णता को समर्पित किया। उन्होंने देश में ‘एक विधान, एक निशान और एक प्रधान’ की संकल्पना के लिए अथक संघर्ष किया और राष्ट्र के नाम अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। पाल ने इस बात पर जोर दिया कि उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A को हटाया और प्रदेश को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा। उन्होंने यह भी बताया कि मुखर्जी ने भारत की आज़ादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें बंगाल और पंजाब के विभाजन में उनकी भूमिका शामिल है, जिससे इन क्षेत्रों का एक हिस्सा भारत में शामिल हो सका। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध करने के बाद भी ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया, जो स्वतंत्रता संग्राम में एक अलग दृष्टिकोण था।

जिला अध्यक्ष रेणुका सचान ने बताया कि 1951 में डॉ. मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी का आधार बना। उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘दो निशान, दो प्रधान और दो विधान’ नहीं चलेंगे, का नारा मोदी जी के नेतृत्व में सफल हुआ है।

राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने डॉ. मुखर्जी को एक दक्ष राजनीतिज्ञ, विद्वान और स्पष्टवादी बताया, जिन्हें उनके मित्रों और शत्रुओं द्वारा समान रूप से सम्मानित किया जाता था। उन्होंने कहा कि भारत उन्हें एक महान देशभक्त और संसद शिष्ट के रूप में सम्मान के साथ याद करता है। शुक्ला ने बताया कि डॉ. मुखर्जी 11 मई 1953 को कुख्यात परमिट सिस्टम का उल्लंघन करके कश्मीर में प्रवेश करते हुए गिरफ्तार कर लिए गए थे, और गिरफ्तारी के दौरान ही विषम परिस्थितियों में 23 जून, 1953 को उनका स्वर्गवास हो गया।

इस अवसर पर बंसलाल कटियार, राजेंद्र सिंह चौहान, डॉ. सतीश शुक्ला, श्याम सिंह सिसोदिया, मदन पांडे, रामजी मिश्रा, सौरभ मिश्रा, बबलू शुक्ला, सत्यम सिंह चौहान, कन्हैया कुशवाहा, फूल सिंह कठेरिया, कृष्णा गौतम, पूर्व ब्लाक प्रमुख अनूप सिंह जादौन, राहुल तिवारी, मीनू सत्येंद्र भदौरिया, विकास मिश्रा, जिला मीडिया प्रभारी सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

Author: aman yatra

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