लाइफस्टाइल

‘थायरायड’ को करना है ख़त्म तो करें ये योगासन

थायराइड कोई रोग न होकर गर्दन में पाई जाने वाली एक ग्रंथि का नाम है। यह ग्रंथि शरीर में मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। हम जो कुछ भी खाते हैं, यह ग्रंथि उसे ऊर्जा में बदलने का काम करती है।

थायराइड कोई रोग न होकर गर्दन में पाई जाने वाली एक ग्रंथि का नाम है। यह ग्रंथि शरीर में मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। हम जो कुछ भी खाते हैं, यह ग्रंथि उसे ऊर्जा में बदलने का काम करती है। साथ ही ह्रदय, हड्डियों, मांसपेशियों व कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित करती है। इसके अलावा, यह ग्रंथि दो तरह के हार्मोन का भी निर्माण करती है। एक है टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन और दूसरा टी4 यानी थायरॉक्सिन है। जब ये दोनों हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, तो वजन बढ़ने या कम होने लगता है, जिसे आम बोलचाल में थायराइड कहा जाता है। थायराइड दो तरह के होते हैं हाइपो थायराइड व हाइपर थायराइड।

 सर्वांगासन

 अपनी पीठ के बल लेट जाएँ। एक साथ, अपने पैरों, कूल्हे और फिर कमर को उठाएँ। सारा भार आपके कन्धों पर आ जाये। अपनी पीठ को अपने हाथों से सहारा दे।


अपनी कोहनियों को पास में लें आयें। हाथों को पीठ के साथ रखें, कन्धों को सहारा देते रहें। कोहनियों को ज़मीन पर दबाते हुए और हाथों को कमर पर रखते हुए, अपनी कमर और पैरों को सीधा रखें। शरीर का पूरा भार आपके कन्धों व हाथों के ऊपरी हिस्से पर होना चाहिए, न कि आपके सर और गर्दन पर।


 अपने पैरों को सीधा व मज़बूत रखें। अपने पैर कि एड़ी को इस भांति ऊँचा रखें जैसे आप छत को छूना चाहते हो। अपनी पैरों कि उँगलियों को नाक की सीध में लें आयें। अपनी गर्दन पर ध्यान दे, उसको ज़मीन पर न दबाएँ। अपनी गर्दन को मज़बूत रखें और उसकी मासपेशियों को सिकोड़ लें। अपनी छाती को ठोड़ी से लगा लें। यदि गर्दन में तनाव महसूस हो रहा है तो आसन से बहार आ जाएँ।


 लंबी गहरी साँसे लेते रहें और 30-60 सेकण्ड्स तक आसन में ही रहें।


 आसन से बहार आने के लिए, घुटनो को धीरे से माथे के पास लें कर आयें। हाथों को ज़मीन पर रखें। बिना सर को उठाये धीरे-धीरे कमर को नीचे लें कर आयें। पैरों को ज़मीन पर लें आयें। कम से कम 60 सेकण्ड्स के लिए विश्राम करें।


 मत्स्यासन

 कमर के बल लेट जाएँ और अपने हाथों और पैरों को शरीर के साथ जोड़ लें।


हाथों को कूल्हों के नीचे रखें, हथेलियां ज़मीन पर रखें। अपनी कोहनियों को एक साथ जोड़ ले।


सांस अंदर लेते हुए, छाती व सर को उठाएँ।


 अपनी छाती को उठाएं, सर को पीछे कि ओर लें और सर की चोटी को ज़मीन पर लगाएँ।


 सर को ज़मीन पर आराम से छूते हुए, अपनी कोहनियों को ज़ोर से ज़मीन पर दबाएं, सारा भार कोहनियों पर डालें, सर पर नही। अपनी छाती को ऊँचा उठाएं। जंघा और पैरों को ज़मीन पर दबाएँ।


जब तक हो सके, आसन में रहें, लंबी गहरी सांसें लेते रहें। हर बहार जाती सांस के साथ विश्राम करें।


 सर को ऊपर उठाएँ, छाती को नीचे करते हुए वापस आएं। दोनों हाथों को वापस शरीर के दायें-बायें लगा लें और विश्राम करें।


 उष्ट्रासन

 अपने योग मैट पर घुटने के सहारे बैठ जाएं और कुल्हे पर दोनों हाथों को रखें।


 घुटने कंधो के समानांतर हो तथा पैरों के तलवे आकाश की तरफ हो।


 सांस लेते हुए मेरुदंड को पुरोनितम्ब की ओर खींचे जैसे कि नाभि से खींचा जा रहा है।


 गर्दन पर बिना दबाव डालें तटस्थ बैठे रहें


 इसी स्थिति में कुछ सांसे लेते रहे।


 सांस छोड़ते हुए अपने प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।


 हाथों को वापस अपनी कमर पर लाएं और सीधे हो जाएं।

 

 

Author: aman yatra

aman yatra

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