सम्पादकीय

“भक्ति की शक्ति का प्रभाव”

अमन यात्रा

कहते है ईश्वर प्रत्येक आडंबर से दूर केवल भक्त के अधीन होते है। यही भगवान जब भक्त किसी विकट परिस्थिति में होता है तो हर रूप धारण कर भक्त की रक्षा के लिए उपस्थित हो जाते है। माता अहिल्या का उद्धार हो या शबरी के धैर्य की परीक्षा, मीरा का असीम प्रेम हो या प्रहलाद की अनन्य भक्ति। ईश्वर केवल भक्त के अधीन होते है, पर यह भक्ति भी उत्कृष्ट और अड़िग होनी चाहिए। ईश्वर के प्रति मन में अगाध श्रद्धा होनी चाहिए। ईश्वर परीक्षा जरूरु लेते है पर कभी भी भक्त को अकेला नहीं छोडते। भक्ति का रंग लगना केवन ईश्वरीय कृपा से हो सकता है। यही भक्ति हनुमान जी को असीम शक्ति प्रदान करती है। इसी भक्ति के फलस्वरूप हनुमान जी भगवान श्रीराम के श्रेष्ठतम भक्त कहलाए। भगवान के इसी नाम स्मरण के कारण कंस को भी मोक्ष मिला क्योंकि जाने अनजाने में ही सही वह निरंतर केवल भगवान कृष्ण का स्मरण करता रहता था और ईश्वर तो इतने दयालु है की वे जाने अनजाने में की गई भक्ति को भी स्वीकार कर भक्त का उद्धार करते है। यही भक्ति प्रहलाद को अग्नि में बैठने पर भी निडर बना गई क्योंकि ईश्वर पर आस्था मृत्यु के भय से कहीं अधिक सर्वोपरि थी।

 

ईश्वर की अड़िग भक्ति पर न करें संशय

 

प्रभु तो पूर्ण करते भक्त की मनोकामना अवश्य॥

 

प्रभु तो चाहते केवल भक्त की अनन्य भक्ति।

 

नाम स्मरण से मिलती हमें अनोखी शक्ति॥

 

ईश्वर की भक्ति का नहीं कोई मोल।

 

मनुष्ययोनि को यह बनाती अनमोल॥

 

भक्त की रक्षा के लिए तो प्रभु को भी सजग रहना पड़ता है। भक्ति की शक्ति के फलस्वरूप प्रभु ने स्वयं कभी पुत्र, पति, पिता, प्रेमी इत्यादि हर रूप धारण किया और अनुरूप लीला रची। स्वयं भगवान ने भी भक्ति का ही सहारा लिया। माता पार्वती ने अनन्य भक्ति कर प्रभु भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त किया। हमें ईश्वरीय भक्ति पर पूर्ण विश्वास करना चाहिए और अपना सर्वस्व उनको सौप देना चाहिए क्योंकि जब ईश्वर हमारा हाथ पकड़ लेते है तो दुनिया के कोई धक्के महत्व नहीं रखते और न ही हमारा कुछ अहित कर सकते है।

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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