परिषदीय शिक्षकों को जल्द मिल सकता है पदोन्नति का तोहफा
परिषदीय शिक्षकों को पदोन्नति का उपहार जल्द मिल सकता है। एक लाख से अधिक शिक्षक पांच साल से इंतजार कर रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की पदोन्नति का प्रस्ताव भेजा है। 51 हजार से अधिक पदों पर पदोन्नतियां होनी हैं।

- प्रदेश के इक्यावन हजार से अधिक परिषदीय शिक्षकों को मिल सकती है पदोन्नति, बेसिक शिक्षा विभाग ने शासन को भेजा प्रस्ताव
कानपुर देहात, अमन यात्रा : परिषदीय शिक्षकों को पदोन्नति का उपहार जल्द मिल सकता है। एक लाख से अधिक शिक्षक पांच साल से इंतजार कर रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की पदोन्नति का प्रस्ताव भेजा है। 51 हजार से अधिक पदों पर पदोन्नतियां होनी हैं। ये प्रकरण न्यायालय में भी लंबित है इसलिए विधिक राय लेने के बाद शासन आदेश जारी करेगा।
बेसिक शिक्षा परिषद के डेढ़ लाख से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में करीब पौने पांच लाख शिक्षक तैनात हैं। प्राथमिक विद्यालय का सहायक अध्यापक पदोन्नत होने पर प्राथमिक स्कूल में प्रधानाध्यापक या उच्च प्राथमिक स्कूल में सहायक अध्यापक बनाया जाता है। वहीं प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापक की पदोन्नति उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद पर होती है। पदोन्नति प्रक्रिया उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली 1981 (अद्यतन संशोधन) के अनुसार शिक्षक की पांच वर्ष की सेवा पूरी होने पर होती है। परिषदीय विद्यालयों में 2016 के बाद से शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हुई हैं। शिक्षक निरंतर इसकी मांग कर रहे हैं। ज्ञात हो कि शिक्षकों का पद जिला स्तर का होता है।
अगर कानपुर देहात जनपद की बात की जाए तो यहां प्राथमिक के प्रधानाध्यापक / जूनियर के सहायक अध्यापकों की पदोन्नति 28 जुलाई 2015 को हुई थी जिसमें जनपद में प्रथम नियुक्ति / कार्यभार ग्रहण तिथि 31 मार्च 1999 तक के शिक्षकों की पदोन्नति हुई थी। वहीं प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों की पदोन्नति 3 मई 2016 को हुई थी जिसमें जनपद में प्रथम नियुक्ति / कार्यभार ग्रहण तिथि 21 अक्टूबर 2009 तक के शिक्षकों की पदोन्नति हुई थी।
पदोन्नति पर रोक नहीं कोर्ट में सुनवाई लंबित-
प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की पदोन्नति को 15 मई 2018 को दीपक शर्मा ने कोर्ट में चुनौती दी थी। उनका कहना था कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई की अधिसूचना है कि पदोन्नति के लिए टीईटी उत्तीर्ण होना चाहिए। पहले से कार्यरत शिक्षक टीईटी उत्तीर्ण नहीं थे इसलिए कोर्ट ने स्थगनादेश जारी अपील में कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 को स्टे हटा लिया लेकिन रिट संबंधित कोर्ट को यह कहते हुए भेज दी कि इनकी पूरी बात सुन ली जाए तब से प्रकरण कोर्ट में लंबित है।
प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की पदोन्नति के लिए 20 हजार से अधिक पद खाली-
प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की पदोन्नति के लिए 20 हजार से अधिक पद खाली हैं। पदोन्नति पाने वालों में उन शिक्षकों की संख्या अधिक है जिन्हें सपा सरकार में नियुक्ति मिली है। इनमें 12,460 बीटीसी, 10,000 बीटीसी, 72,825 विशिष्ट बीटीसी, 4800 उर्दू बीटीसी, 15,000 व 16,448 शिक्षक भर्ती जिनकी अवधि पांच वर्ष से ज्यादा हो गई है। 2016 में शिक्षकों की पदोन्नति में सेवाकाल में छूट दी गई थी उस समय तीन वर्ष की सेवा वालों को पदोन्नति का लाभ मिला था। इस बार पांच साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षकों की संख्या अधिक है इसलिए सेवाकाल में छूट मिलने की उम्मीद नहीं है।
उच्च प्राथमिक स्कूलों में 31,000 प्रधानाध्यापक के पद रिक्त-
प्रदेश में उच्च प्राथमिक विद्यालय 44,905 हैं उनमें से 31,000 विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद रिक्त है। 2008 में एक याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने आदेश दिया कि उच्च प्राथमिक विद्यालयों की पदोन्नति में उच्च प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक वरिष्ठ माने जाएंगे जबकि विभाग की नियमावली में प्राविधान है कि प्राथमिक का प्रधानाध्यापक व उच्च प्राथमिक का सहायक अध्यापक का पद समान होगा। इस मामले में सरकार अपील में जाने की तैयारी में है। इस संदर्भ में महानिदेशक विजय किरण आनंद का कहना है कि परिषदीय शिक्षकों की पदोन्नति के लिए 26 जुलाई को शासन को प्रस्ताव भेजा है। प्रकरण कोर्ट में है इसलिए विधिक राय ली जायेगी। शासन का जो आदेश होगा उसका अनुपालन कराया जायेगा।
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