लखनऊ,  अमन यात्रा । शहर-ए-लखनऊ की जीवन रेखा कही जाने वाली आदि गंगा गोमती को सफाई अभियान पिछले दो दशक से चल रहा है। दो हजार करोड़ रुपये खर्च होने बावजूद जीवनदायिनी को गंदगी से निजा नहीं मिल सकी। गोघाट के बाद जब गोमती लखनऊ में प्रवेश करती है तो इसे सर्वाधिक प्रवाह प्राकृतिक कुकरैल नाले से प्राप्त होता है। जो मानसून के सीजन में नदी की मुख्य धारा को गति प्रदान करने में अग्रणीय है।  गोमती बैराज के समीप गोमती में मिलने वाला कुकरैल आज प्रदूषित होकर स्वयं में ही सिमट गया है। अब यह केवल असंशोधित सीवेज से गोमती को मैला कर रहा है।

यह हम नहीं बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता द्वारा गोमती पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। प्रो. दत्ता ने टीम के साथ मिलकर कुकरैल नाले को एक बार फिर से उसका प्राकृतिक स्वरुप लौटाने का ब्लू प्रिंट तैयार किया है और प्रशासन को इसका प्रस्ताव भी भेजा है। वह स्वयं पिछले डेढ़ दशक से अधिक समय से गोमती और उसके प्राकृतिक नदी तंत्र के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे है।