नगर संवर्ग खत्म करने का सिर्फ एलान हुआ अमल नहीं, सरप्लस शिक्षकों का नहीं हो पा रहा समायोजन
नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए विधानसभा में इस संवर्ग को खत्म करने का एलान तो किया गया पर उस पर अमल अभी तक नहीं हुआ। इसके अलावा नगर संवर्ग खत्म कर ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों के समायोजन की कवायद भी सफल नहीं हुई। इसी कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। प्रदेश सरकार ने 2020-21 में इस मामले में गंभीरता से विचार शुरू किया था। तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने विधानसभा में नगर संवर्ग खत्म करने की बात कही थी
कानपुर देहात। नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए विधानसभा में इस संवर्ग को खत्म करने का एलान तो किया गया पर उस पर अमल अभी तक नहीं हुआ। इसके अलावा नगर संवर्ग खत्म कर ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों के समायोजन की कवायद भी सफल नहीं हुई। इसी कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। प्रदेश सरकार ने 2020-21 में इस मामले में गंभीरता से विचार शुरू किया था। तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने विधानसभा में नगर संवर्ग खत्म करने की बात कही थी। कहा था कि बेसिक शिक्षा नियमावली में आवश्यक संशोधन कर कैबिनेट की मंजूरी के बाद सदन में लाया जाएगा। उन्होंने यह एलान तो किया पर इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। 2022 में वह चुनाव हार गए और विभाग ने इस दिशा में ठोस प्रयास नहीं किया।
नगर के स्कूल सुधरें तो न हो आरटीई के लिए मारामारी-
विभाग एक तरफ नगर क्षेत्र के स्कूलों में सुधार नहीं कर पा रहा है। दूसरी तरफ वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों का आरटीई के तहत निजी स्कूलों में दाखिले के लिए शुल्क देता है। हर साल निजी स्कूल में लाखों बच्चों के आवेदन आते हैं और उसमें से आधे को ही प्रवेश मिल पाता है। अगर विभाग अपने शहरी क्षेत्र के स्कूलों को ही व्यवस्थित कर दे तो आरटीई के लिए मारामारी नहीं होगी।
पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने नगर संवर्ग खत्म करने की घोषणा की थी। सरकार चाहे तो कैबिनेट से प्रस्ताव पास कर 2009-10 की भांति ग्रामीण संवर्ग के सरप्लस शिक्षकों को नगर क्षेत्र में तैनात कर सकती है या फिर नियमावली में संशोधन कर सीधे नगर क्षेत्र में तैनाती की जा सकती है लेकिन सरकार को जो करना चाहिए वह करती नहीं है और जो नहीं करना चाहिए उसे प्रमुखता से करती है।