कानपुर देहात। नीट एग्जाम और रिजल्ट से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। ग्रेस मार्क्स और ज्यादा टॉपर का मामला सुर्खियों में छाया हुआ है। अब भी सुप्रीम कोर्ट में नई याचिकाएं दाखिल हो रही हैं। अब नीट स्कोरकार्ड और ओएमआर में नंबर अलग-अलग होने का मामला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नीट स्कैम की जांच और नीट रिजल्ट रद्द करने की लगातार मांग उठ रही है। याचिका में कहा गया है कि स्टूडेंट्स के स्कोरकार्ड और ओएमआर शीट में नंबर अलग-अलग हैं। ये विसंगतियां ग्रेस नंबर के कारण नहीं हुई हैं क्योंकि याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स उक्त सेंटर में नहीं थे जहां के बच्चों को ग्रेस मार्क्स मिले हैं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि कटऑफ नंबर और औसतन रिजल्ट इस बार अभूतपूर्ण रहा है।
67 स्टूडेंट्स ने 720 में 720 मार्क्स पाए हैं जबकि आमतौर पर 1-3 स्टूडेंट्स ही टॉप करते थे। इन टॉपरों में छह तो हरियाणा के सिर्फ एक ही सेंटर से हैं। कुछ स्टूडेंट्स को 718 व 719 नंबर आए हैं और स्टैटिकली यह सवालों के घेरे में है। नीट पेपर लीक और अनियमितता के मामले में दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट नोटिस जारी कर चुका है।सीबीआई जांच वाली याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नोटिस जारी किया था। तमाम याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 8 जुलाई की तारीख तय कर दी है।
आखिर नीट एग्जाम है क्या ? इस परीक्षा ने पूरे देश को क्यों हिला कर रख दिया है ? आइए जानते हैं
नीट का फुल फॉर्म नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट है। यह मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम यूजी और पीजी, दोनों स्तरों पर होता है। नीट परीक्षा भारत में चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक प्रवेश द्वार है। नीट परीक्षा भारत की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा होती है। नीट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उम्मीदवार एमबीबीएस, बीडीएस और बीएएमएस, बीएसएमएस, बीयूएमएस और बीएचएमएस जैसे चिकित्सा क्षेत्र में विभिन्न पाठ्यक्रमों का विकल्प चुन सकते हैं। शिक्षा मंत्रालय के भीतर एक स्वायत्त संगठन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) इस परीक्षा को आयोजित करती है। साल में एक बार होने वाली नीट यूजी परीक्षा इस बार चर्चा में है। इस साल नीट यूजी पेपर लीक हो गया था। इसके बाद से मामला सुप्रीम कोर्ट में है और इस पर लगातार पूरे देश में बवाल हो रहा है। नीट यूजी रिजल्ट ने सबको हैरान कर दिया। इसमें 67 कैंडिडेट्स को ऑल इंडिया रैंक 1 मिली है।
नीट यूजी परीक्षा की शुरुआत 2013 में हुई थी। इसकी घोषणा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने की थी लेकिन कई राज्यों से असहमति होने के कारण इसे रद्द कर दिया गया था। साल 2014 और 2015 में भी नीट परीक्षा नहीं हो पाई थी आखिरकार साल 2016 में पहली बार नीट परीक्षा आयोजित हो पाई थी। नीट को पहले एआईपीएमटी कहा जाता था।एआईपीएमटी का फुल फॉर्म ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट था। बाद में इसे नीट कर दिया गया था। 2016 में नीट परीक्षा तमिल, तेलुगु, मराठी, बंगाली, असमिया और गुजराती भाषाओं में हुई थी।
2017 में कन्नड़ और उड़िया भाषाएं भी जोड़ दी गई थीं हालांकि अब नीट यूजी परीक्षा 13 भाषाओं में दे सकते हैं। एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से पहले इस परीक्षा की जिम्मेदारी सीबीएसई को सौंपी गई थी। देश में पहली नीट परीक्षा सीबीएसई ने ही आयोजित करवाई थी। नीट यूजी परीक्षा देने के लिए 12वीं पीसीबी यानी फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी/ बायोटेक्नोलॉजी के साथ पास होना जरूरी है। नीट परीक्षा देने के लिए कोई अधिकतम सीमा तय नहीं की गई है। कोई भी उम्मीदवार कितनी भी बार यह परीक्षा दे सकता है। नीट यूजी परीक्षा देने के लिए कैंडिडेट की उम्र कम से कम 17 साल होनी चाहिए। नीट यूजी परीक्षा देने के लिए कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं की गई है। कैंडिडेट किसी भी उम्र तक मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम दे सकते हैं।
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