कानपुर देहात: “नेकी की कोई जुबान नहीं होती और नेकी करने वाले धर्म जाति नहीं देखते, सिर्फ मन में जज़्बा होना चाहिए कुछ करने का।” इसी सोच के साथ 16 मार्च 2017 को कानपुर देहात के पुखरायां कस्बे में “नेक द्वार” की शुरुआत हुई थी। आज, संघर्ष और चुनौतियों का सामना करते हुए इस संस्था ने प्रगति के 8 वर्ष पूरे कर लिए हैं और नौवें वर्ष में प्रवेश कर लिया है।
नेक द्वार: एक नेक पहल:
नेक द्वार एक ऐसा स्थान है जहाँ कोई भी व्यक्ति अपने अनुपयोगी सामान जैसे कपड़े, जूते, चप्पल, बैग, बर्तन आदि दान कर सकता है। जरूरतमंद लोग यहाँ से अपनी आवश्यकतानुसार सामान ले जा सकते हैं। इस पहल से उन गरीबों को बड़ी राहत मिली है जिनके पास तन ढकने के लिए कपड़े और पैरों में जूते तक नहीं होते।
जनसहयोग से मिली सफलता:
नेक द्वार की इस नेक सोच को स्थानीय लोगों का भरपूर समर्थन मिला। देखते ही देखते दान किए गए सामानों का ढेर लग गया और जरूरतमंद लोग अपनी दुआओं के साथ यहाँ से सामान ले जाने लगे। बढ़ती लोकप्रियता और माँग को देखते हुए, संस्था ने दो और स्थानों पर अपनी शाखाएँ खोलीं, जिनका उद्घाटन स्थानीय विधायक जी ने किया। इसके साथ ही, पुखरायां के पास अमरौधा कस्बे में भी एक शाखा खोली गई है।
सेवा कार्यों का विस्तार:
चंद लोगों द्वारा शुरू की गई इस मुहिम में आज कई लोग जुड़ चुके हैं। नेक द्वार ने नव दुर्गों में कन्याओं को 101 नए कपड़े वितरित किए, जिससे उनके चेहरे खिल उठे। यह संस्था 365 दिन सेवा कार्यों में लगी रहती है। अभी तक नेक द्वार ने 10,000 से अधिक कपड़े, सैकड़ों जोड़ी जूते-चप्पल, बैग, कंबल, रजाई और ऊनी कपड़े गरीबों को वितरित किए हैं। इसके अलावा, संस्था भोजन वितरण, शिक्षा जागरूकता, स्वेटर वितरण, गौ सेवा, सफाई अभियान, वृक्षारोपण, कंबल वितरण, वृद्धजनों की सेवा, तालाबों के संरक्षण और क्षेत्र में नवाचार के प्रचार-प्रसार के लिए भी कार्य कर रही है।
नेक द्वार सेवा समिति का गठन:
नेक द्वार अब “नेक द्वार सेवा समिति” बन गई है, जो सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत है। 25 नवंबर 2023 को इस संस्था ने अपने 5 वर्ष पूरे किए। इन पाँच वर्षों में संस्था ने अपने दानदाताओं के सहयोग से और मीडिया के माध्यम से समाज में अपनी एक अच्छी छवि बनाई है।
जनहित में किए गए कार्य:
नेक द्वार सेवा समिति ने जल संरक्षण, पौधारोपण और स्वच्छता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। संस्था ने पटेल चौक पर पौधारोपण कर “पटेल वाटिका” का निर्माण किया। भोगनीपुर तहसील क्षेत्र में “नेक द्वार आउटरीच कार्यक्रम” चलाकर दर्जनों गाँवों के असहाय लोगों को नए कंबल और ऊनी कपड़े वितरित किए गए। संस्था ने तालाबों के संरक्षण के लिए भी कार्य किया है और कोरोना महामारी के दौरान मास्क, सैनिटाइजर और अन्य आवश्यक सामग्री का वितरण किया।
स्वास्थ्य और राहत कार्य:
संस्था ने कई स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया है और जिलाधिकारी द्वारा दिए गए क्षय रोगियों को समय-समय पर पौष्टिक आहार वितरित किया है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भी संस्था ने राहत सामग्री का वितरण किया है।
संघर्ष और सफलता:
इन पाँच वर्षों में संस्था ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन समय-समय पर हुई बैठकों में लिए गए निर्णयों से संस्था मजबूत होती गई। आज, नेक द्वार सेवा समिति जनहित में समर्पित एक संस्था है, जो गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा में निरंतर लगी हुई है।
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