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कानपुर देहात। नई व्यवस्था के तहत अब शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी लगेगी और अब शिक्षक स्कूल के समय में व्हाट्अप चैटिंग और रील्स न देख पाएंगे और न ही बना पायेंगे।शिक्षकों को अब समय पर स्कूल आना होगा और निर्धारित समय के बाद ही स्कूल से जाना होगा। कई बार निरीक्षण में यह शिकायत सामने आई है कि स्कूल से गायब होने के बावजूद रजिस्टर पर शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज रहती है। अब ऐसा नहीं होगा। यही नहीं उनकी जगह दूसरा व्यक्ति उपस्थिति नहीं लगा सकेगा। छात्रों की सही संख्या भी पता चल सकेगी। कई विद्यालयों में एमडीएम में संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बता दी जाती है अब इस पर रोक लगेगी। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद की और से इस बाबत निर्देश जारी कर दिए गए हैं। सभी जिलों के सभी स्कूलों को बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से टैबलेट दिए गए हैं और इसी टैबलेट के माध्यम से वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। हालांकि इस आदेश के बाद शिक्षक और डीजी साहब आमने-सामने हैं। शिक्षकों का कहना है कि नए-नए नियमों को अध्यापकों के ऊपर थोपा जा रहा है। ऐसे नियमों से अध्यापकों को प्रताड़ित और अपमानित किया जा रहा है। डीजी के आदेश में कहा गया है कि ऑनलाइन उपस्थित में यदि कोई शिक्षक समय से 15 मिनट बाद स्कूल पंहुचेगा तो उसका उस दिन का वेतन काट लिया जाएगा। महानिदेशक के इस आदेश को शिक्षक व संगठन के नेता तुगलकी आदेश बता रहे हैं और इसके विरोध में सर्वे करा रहे हैं। इस आदेश का राज्य की राजधानी लखनऊ, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव व श्रावस्ती सहित सभी जिलों के 99 प्रतिशत शिक्षक विरोध कर रहे हैं केवल एक प्रतिशत शिक्षक ही ऑनलाइन उपस्थित दर्ज करा रहे हैं। महानिदेशक विजय किरन आनंद इसे
अपनी तौहीन मानते हैं। इसलिए इन जिलों के बीएसए से स्पष्टीकरण मांगा है। सवाल पैदा होता है कि क्या डीजी साहब ने आज तक बेसिक शिक्षा के दूर दराज के स्कूलों के रास्तो का अवलोकन किया है। क्या वे कभी साइकिल या बाइक से उन गांवों में गए हैं जहाँ दूसरे गांव से गुजरकर जाना पड़ता है और आवागमन का सिंगल रास्ता होता है। उस रास्ते पर किसान भैसा बोगी लेकर चलता है। जिसके पीछे-पीछे साइकिल व बाइक वाले को उसी गति से चलना होता है। अगर कोई ची-चपाट की तो पिटाई खानी पड़ सकती हैं। क्या कभी डीजी ने पिटाई खाई है। वहीं हमारा डीजी विजय किरन आनंद से सीधा सवाल है कि उन्होंने यह आदेश देने से पहले व्यवहारिक स्थिति का पता कराया है क्या। यदि नहीं तो फिर एसी रूम में बैठकर केवल बदले की कार्यवाही करने का आपको हक नही है। ऑनलाइन उपस्थिति अगर आप लेना चाहते हैं तो आपको ऑनलाइन उपस्थिति लेने के लिए जो व्यावहारिक आवश्यकता है उन्हें भी पूरी करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। सभी स्कूलों में शिक्षको के आवास बनवाने होंगे। अगर आप आवास नहीं बनवा सकते तो उन्हें परिवहन की सुविधा उपलब्ध करानी होगी। व्यावहारिकता और सामाजिकता का ध्यान रखे बिना कोई भी नियम और कानून सफल नहीं हो सकता क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है मशीन नहीं। आप भी गुरुओं को गुरु माने और उन्हें बंधुआ मजदूर मानने की मानसिकता का त्याग करें। बदले की कार्रवाही एक आईएएस अधिकारी को शोभा नहीं देती।
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