न्यायालयों के निर्णय पर सार्वजनिक बयानबाजी खतरनाक चलन : अशोक द्विवेदी
-ज्ञानवापी प्रकरण पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का बयान विधि व्यवस्था के विपरीत
चंदौली । दुनिया की सबसे मजबूत न्याय व्यवस्था भारत की है। इसके निर्णय प्रत्येक भारतीय के लिए देव वाक्य जैसा होता है।लेकिन पिछले दिनों कुछ संगठनों द्वारा न्यायालय के निर्णय पर सार्वजनिक रूप से ऐतराज किया जाना न्याय व्यवस्था की स्थापित गरिमा के विपरीत है। यह बातें भाजपा विधि प्रकोष्ठ के जिला संयोजक अशोक द्विवेदी एडवोकेट ने कही। वे वाराणसी जिला जज द्वारा ज्ञानवापी स्थित व्यास जी तहखाना के निर्णय के बाद पर्सनल लॉ बोर्ड , जमीयत उलेमा हिंद , मरकाजी अहले हदीस , एआईएमआई द्वारा एतराज जताने पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे । श्री द्विवेदी ने चेताया कि न्याय व्यवस्था को अक्षुण्य रखने के लिए ही निचली अदालतों के निर्णय को ऊपरी अदालतों में चुनौती देने का प्रावधान भारतीय कानून व संविधान में उल्लिखित है । चेताया कि बोर्ड व अन्य संगठन न्याय व्यवस्था पर उंगली उठाने से बाज आएं अन्यथा कोर्ट के सम्मान के लिए अधिवक्ता समाज कड़ा कदम उठाएगा।
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