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राजेश कटियार, कानपुर देहात। न्यू पेंशन स्कीम यानी एनपीएस पर सरकार ने दावे चाहे जो किए हो लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि असलियत अब उनके सामने आ चुकी है। एक-एक लाख वेतन पाने वालों को बमुश्किल डेढ़ हजार की पेंशन दी जा रही है। सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि सरकार न सिर्फ कर्मचारियों बल्कि उनके नाम पर अपना पैसा भी कंपनियों में निवेश करा रही है और इस पूरी प्रक्रिया में जरा भी विश्वसनीयता नहीं है।
कर्मचारियों का कहना है कि एनपीएस भी उन कृषि कानूनों की तरह है जिनका देश भर के किसानों ने विरोध किया था। एनपीएस भी सरकार को हर हाल में वापस लेनी ही होगी। कर्मचारी अब किसी भी दबाव में झुकने वाले नहीं हैं। नई पेंशन के घातक परिणाम सभी नेताओं को मालूम हैं इसीलिए वे स्वयं अमृत रूपी पुरानी पेंशन का सेवन कर रहे हैं और सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन के नाम पर विष पिला रहे हैं।
अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु कहते हैं कि पुरानी पेंशन सरकारी कर्मचारियों का हक है जिसे सरकार छीन रही है। पुरानी पेंशन का मुद्दा पूरे देश में छा चुका है जिसे दबाना अब किसी सरकार के बस की बात नहीं है। एनपीएस कर्मचारियों को भयभीत कर रही है। उन्हें आशंका है कि रिटायरमेंट के बाद कहीं खाली हाथ घर न जाना पडे। पुरानी पेंशन सरकारी कर्मचारी का हक है जो उसे मिलना ही चाहिए। सरकार ने पुरानी पेंशन के मुद्दे को गंभीरता से न लिया तो हो सकता है सरकारी कर्मचारी सत्ता पलट कर दें।
यह पेंशन की नहीं धोखाधड़ी की है स्कीम-
मनोहर भूषण इंटर कॉलेज में प्रवक्ता सुमित गंगवार एनपीएस को पेंशन स्कीम नहीं मानते बल्कि धोखाधड़ी की स्कीम बताते हैं। वे कहते हैं कि कर्मचारियों के पैसो का लेखाजोखा निजी कंपनियों के हाथों में है। एनपीएस से जो पेंशन मिलेगी उससे कर्मचारी के परिवार का गुजारा नहीं हो सकता है। ओपीएस में सब कुछ तय है। अब जो लोग रिटायर हो रहे हैं उन्हें बमुश्किल 15 सौ रुपये तक पेंशन मिल रही है। एनपीएस कर्मचारियों पर जबरन थोपी जा रही है। शेयर मार्केट आधारित इस स्कीम में कुछ तय नहीं है, एनपीएस में न कोई गारंटी न कोई सुरक्षा है सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारियों को लूटा जा रहा है।
नाम न छापने की शर्त पर जनपद के कई शिक्षकों ने बताया कि एनपीएस के तहत जबरन वेतन काटा जा रहा है। जो कर्मचारी कटौती नहीं करा रहा है, उसकी सूची मांगी जा रही है। हर साल एनपीएस की अनिवार्यता का आदेश जारी किया जाता है और बीएसए द्वारा एनपीएस ना कटाने वाले शिक्षकों का वेतन अवरुद्ध करने की घुड़की दी जाती है जबकि एनपीएस में न कोई गारंटी है न कोई सुरक्षा। एनपीएस के लिए सरकारी कर्मचारियों पर दबाव बनाना ठीक नहीं है।शिक्षकों का यह भी कहना है कि सरकार अपने ही सरकारी कर्मचारियों की बुढ़ापे की लाठी छीनने का काम कर रही है। एनपीएस के दायरे में लाकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। नई पेंशन योजना से सरकारी कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित नहीं है। इससे पूरे देश के कर्मचारियों में भारी रोष है फिर भी सरकार अनदेखी कर रही है। सरकारी कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सामाजिक-आर्थिक हितों की अनदेखी पर वे आगामी चुनाव में पुरानी पेंशन बहाली के पक्ष में मतदान करने को स्वतंत्र होंगे। सरकार पुरानी पेंशन बहाल करें अन्यथा उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
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