पढ़ाई में नितांत आवश्यक है प्रोजेक्ट वर्क
हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा बुद्धिमान और क्रिएटिव हो लेकिन सिर्फ चाहत रखने से कुछ नहीं होता। इसके लिए आपको स्कूल में दिए गए प्रोजेक्ट कार्य को बच्चों से ही करवाना होगा।

- एक्टिविटीज से बच्चों को बनाएं बुद्धिमान और क्रिएटिव
कानपुर देहात, अमन यात्रा : हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा बुद्धिमान और क्रिएटिव हो लेकिन सिर्फ चाहत रखने से कुछ नहीं होता। इसके लिए आपको स्कूल में दिए गए प्रोजेक्ट कार्य को बच्चों से ही करवाना होगा। शिक्षण में प्रोजेक्ट कार्य एक सक्रिय पद्धति है। अनुसंधान से पता चला है कि प्रोजेक्ट आधारित शिक्षा का उपयोग करने वाले विद्यार्थी ज्ञान को अधिक समय तक याद रख सकते हैं।
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इससे विद्यार्थियों में जानकारी एकत्रित करने और उसे प्रसंस्करित करने के कौशल, प्रस्तुतिकरण कौशल, आत्मविश्वास और स्वावलंबन विकसित होते हैं। एक प्रतिस्पर्धी वैश्विक दुनिया में ये कौशल बहुत महत्वपूर्ण हैं परंतु शिक्षकों को प्रोजेक्ट तैयार करते समय खासतौर पर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को उनकी कक्षा व उम्र के हिसाब से प्रोजेक्ट वर्क दिए जाएं जिन्हें वे स्वयं पूर्ण करने में सक्षम हो। साथ ही कब, क्यों, कहां, कैसे, क्या, कौन जैसे प्रश्नों के जवाब बच्चों को मिल सकें। कई स्कूलों में ऐसे-ऐसे प्रोजेक्ट बच्चों को दिए जा रहे हैं जिसे देखकर ऐसा लगता है कि ये छोटी-छोटी क्लासेस में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स न होकर किसी प्रोफेशनल कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स हैं। ऐसे प्रोजेक्ट वर्क ने बच्चों को परेशानी तो नहीं दी है बल्कि पेरेंट्स की परेशानियां बढ़ा दी हैं। अत: शिक्षकों को चाहिए कि बच्चों को उनके लेवल के अनुसार प्रोजेक्ट वर्क प्रदान करें जिसे वे स्वयं कर सकें। यू पी किराना सेवा समिति बालिका विद्यालय की प्रिंसिपल उषा सेंगर का कहना है कि शुरुआती दौर में बच्चे अपने आसपास से बहुत तेजी से सीखते हैं। वे स्कूल में पहुंचते हैं तो उन्हें किताबी ज्ञान एक तरह से बोझ लगने लगता है। नर्सरी के बच्चे को लिखने से अधिक पढ़ना व एक्टिविटी करना अच्छा लगता हैै। ऐसे बच्चे अभी पढ़ना सीख रहे होते हैं। ऐसे में चित्रों, पहेली, ड्राइंग के माध्यम से सीखने के लिए उनके अंदर ललक पैदा की जाती है। अत: प्रोजेक्ट वर्क से बच्चा प्रत्येक टॉपिक को बेहतर तरीके से सीखता है। प्रोजेक्ट वर्क से बच्चों में किताबी ज्ञान को व्यवहारिक ज्ञान से जोड़ सकने की काबलियत विकसित होती है जिससे विद्यार्थियों का कौशल और आत्मविश्वास भी बढ़ जाता है।
इसी विद्यालय की कक्षा एक की प्रधानाध्यापिका लीना हंसवानी का कहना है कि स्कूल लाइफ बच्चों के जीवन का सबसे अच्छा समय होता है। सभी बड़े लोग वो समय याद करते हैं जब वो छोटे थे और स्कूल में एन्जॉय करते थे। हमारे स्कूल लाइफ की यादें ही हमारी सबसे अच्छी यादें होती हैं। यह हमारा फर्ज है कि हम बच्चों की स्कूल लाइफ को मजेदार बनाएं। हमें उनके बचपन और स्कूल टाइम को यादगार बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा क्रिएटिव एक्टिविटीज करवानी चाहिए। टीचर्स को हमेशा नई और दिलचस्प एक्टिविटीज बच्चों के लिए ढूंढते रहना चाहिए और स्कूल में करवाना चाहिए। ऐसी एक्टिविटीज से बच्चों की याददाश्त बढ़ती है और पढाई-लिखाई में मन लगा रहता है।
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