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राजेश कटियार, कानपुर देहात। प्रदेश में न्यूज वेब पोर्टल की आड़ में ब्लैकमेलिंग और अवैध वसूली की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। अनाधिकृत और कुकुरमुत्ते की तरह उग आए वेब पोर्टलों पर सरकार द्वारा कारगर रोक नहीं लगाने से इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
स्वतंत्र पत्रकारिता के नाम पर वेब पोर्टल की आड़ में तथाकथित फर्जी पत्रकार अवैध उगाही और ब्लैकमेलिंग के जरिए मोटी कमाई का रास्ता ढूंढते रहते हैं। कुछ लोग इसे शार्टकट से कमाई करने का जरिया बनाने में लगे हैं। उल्लेखनीय है इन फर्जी ब्लैकमेलरों की वजह से पत्रकारिता अपने कलंकित दौर से गुजर रही है। अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो वह दिन दूर नही की लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अपनी विश्वसनीयता को खो देगा इस पर अंकुश लगाया जाना बेहद जरूरी है।
तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय ने एक आदेश जारी किया था जिसमें प्रधानाध्यापकों को निर्देशित किया गया था कि यदि कोई पत्रकार स्कूल में घुसने की कोशिश करता है तो उससे जिला सूचना अधिकारी द्वारा निर्गत पहचान पत्र मांगें। अगर वो पहचान पत्र न दिखा पाए तो उसे फौरन स्कूल से बाहर कर दें।
अगर वह फिर भी जोर जबरदस्ती करें तो प्रधानाध्यापक उसके खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज करवाए और विभाग को सूचित करे। शिक्षकों का कहना है कि कोई भी शख्स कैमरा लेकर स्कूल में घुस आता है और निरीक्षण जांच करने लगता है जिससे पठन पाठन पर बुरा असर पड़ता है। कई फर्जी पत्रकार ऐसे भी हैं जो स्कूल समय के एक घंटा पहले ही फोटो खींच लेते हैं और खबर प्रसारित करते हैं कि यह स्कूल बंद पाया गया।
कुछ शिक्षकों द्वारा यह भी संज्ञानित कराया गया है कि कतिपय व्यक्ति एवं अपरिचित समूहों द्वारा स्वयं को मीडिया कर्मी बताते हुए विद्यालय जाकर शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं छात्र-छात्राओं की फोटो ली जाती है विभागीय अभिलेखों से छेड़छाड़ करते हुए सूचनाएं मांगी जाती हैं भोजन बनाने के दौरान किचेन में प्रवेश किया जाता है जिससे किसी भी प्रकार की अनहोनी की आशंका रहती है।
सम्बन्धित विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा सम्बन्धित व्यक्ति / पत्रकार से पहचानपत्र दिखाये जाने का अनुरोध किये जाने पर कथित पत्रकारों द्वारा अभद्रता की जाती है। विद्यालय में छात्रों की उपस्थित में अध्यापकों के साथ अभद्र व्यवहार करने पर अध्यापक एवं बच्चें कुंठाग्रस्त होते हैं जिसका असर शिक्षण कार्य एवं बच्चों की मनोदशा पर पड़ता है साथ ही विद्यालय का महौल भी खराब होता है।
कुछ फर्जी पत्रकार शिक्षकों को ब्लैकमेल कर धन उगाही करने का प्रयास भी करते हैं। ऐसे में सूचना विभाग द्वारा एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा सख्त गाइलाइन जारी करना जरूरी था ताकि स्कूल पहुंच कर निरीक्षण व जांच के नाम पर उगाही की घटनाओं पर लगाम लग सके।
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