कानपुर देहात। ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर उपलब्ध आधार कार्ड बनाने के लिए लैपटॉप, स्कैनर समेत अन्य उपकरण या तो खराब पड़े हैं या फिर इनका उपयोग कहीं बाहर किया जा रहा है। जिससे बच्चों के अभिभावकों को नए आधार कार्ड बनवाने व उसकी त्रुटियों को दूर करने के लिए बैंक या पोस्ट ऑफिस जाना पड़ रहा है करीब 10 वर्ष पहले शासन की ओर से परिषदीय विद्यालयों में दाखिला लेने वाले बच्चों को आधार कार्ड उपलब्ध कराए जाने को लेकर प्रत्येक ब्लॉक संसाधन केंद्र पर दो सेट उपकरण उपलब्ध कराए गए थे। इनमें लैपटॉप समेत आंखों व हथेली को स्कैन करने वाला स्कैनर समेत दूसरे अन्य सभी उपकरण दिए गए थे। इसको लेकर शासन की मंशा थी कि परिषदीय विद्यालयों में दाखिला लेने वाले बच्चों को आधार कार्ड के लिए दूसरे केंद्रों पर नहीं भटकना पड़े। बावजूद इसके इतने साल गुजर जाने के बाद भी शत प्रतिशत बच्चों के आधार कार्ड नहीं बनें हैं।
अभी भी जनपद में करीब 30 फीसदी बच्चे आधार कार्ड से वंचित हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इन मशीनों का उपयोग कहां पर किया जा रहा है क्योंकि आधार कार्ड मशीनों में प्रतिदिन आधार कार्ड बन रहे हैं। क्या बीआरसी केंद्रों के बाहर इन मशीनों का उपयोग किया जा रहा है यह एक जांच का विषय है। आधार कार्ड से वंचित बच्चों को डीबीटी के तहत मिलने वाली 1200 रूपये की धनराशि भी नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा दाखिला लेने वाले बच्चों व अभिभावकों को परेशानी हो रही है जबकि पूरे जनपद में विभाग द्वारा प्रत्येक विकासखंड को दो दो कुल 20 मशीनें प्रदान की गई हैं जब बच्चों के आधार कार्ड बन नहीं रहे हैं तो इन मशीनों का उपयोग कहां किया जा रहा है जिम्मेदार जवाब देने से मुकर रहे हैं।
अगर पूरे प्रदेश की बात की जाए तो परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले 8.86 लाख बच्चों के अभी तक आधार कार्ड नहीं बने हैं। इन बच्चों को ड्रेस, जूता मोजा, स्टेशनरी आदि खरीदने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए 12-12 सौ रुपये दिए जाने हैं। अगले सप्ताह बच्चों के खाते में इसे भेजा जा सकता है लेकिन अब तक सभी बच्चों के खाते आधार से लिंक नहीं हुए हैं। प्रदेश भर के 886010 बच्चों के आधार कार्ड ही नहीं बने हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आठवीं तक के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती है। सभी बच्चों को किताबें प्रदेश सरकार की ओर से मुहैया कराई जाती हैं। इस बार कक्षा एक और दो का पाठ्यक्रम भी बदला है तो अब तक किताबें नहीं है। आसार है कि छुट्टी के बाद स्कूल खुलेंगे तो किताबों का वितरण किया जाएगा।इसके अलावा ड्रेस, जूता- मोजा, स्टेशनरी आदि खरीदने के लिए प्रत्येक बच्चे को 12 सौ रुपये उनके खाते में भेजे जाएंगे।
पहले यह सुविधा शिक्षकों के जरिए दी जाती थी तो उसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगे इसलिए अब वह व्यवस्था बंद कर दी गई है।बच्चों या उनके अभिभावकों के खाते में धनराशि भेजने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है। प्रदेश भर में 12899888 बच्चे पंजीकृत हैं। उसमें से 86889 बच्चों के आधार वैरीफाइड नहीं हो पाए हैं। इसके अलावा 886010 बच्चों के आधार कार्ड ही नहीं बने हैं। अब तक किसी भी जिले में सभी बच्चों के आधार कार्ड नहीं बन पाए हैं जबकि पूरे प्रदेश के बीआरसी केंद्रों को 10 साल पहले ही 2-2 आधार किटें उपलब्ध कराई गई थीं।
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