परिषदीय शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा दिए जाने का जारी हुआ फरमान

परिषदीय शिक्षकों को पहली बार कैशलेस चिकित्सा की सुविधा मिलने जा रही है। इस संबंध में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने सभी जनपदों के बीएसए को आदेश भेजा है।

लखनऊ/ कानपुर देहात। परिषदीय शिक्षकों को पहली बार कैशलेस चिकित्सा की सुविधा मिलने जा रही है। इस संबंध में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने सभी जनपदों के बीएसए को आदेश भेजा है।

परिषदीय स्कूलों में कार्यरत पांच लाख से अधिक शिक्षकों, 1.10 लाख शिक्षामित्रों, तकरीबन 30 हजार अंशकालिक अनुदेशकों और हजारों शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को पहली बार कैशलेस सामूहिक स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ मिलेगा। न्यू इंडिया, युनाइटेड इंडिया और द ओरियेन्टल इंश्योरेंस कंपनियों को बीमा के लिए अधिकृत किया गया है। इसका लाभ पति-पत्नी, दो बच्चे और आश्रित माता-पिता को मिलेगा। लाभार्थियों की संख्या, कैशलेश चिकित्सा की राशि का चयन पालिसीधारक को अपनी सुविधा के अनुसार करना होगा। पॉलिसी लेने के पहले दिन से हर प्रकार की बीमारी के इलाज की सुविधा मिलेगी। इसके लिए किसी चिकित्सकीय जांच की जरूरत नहीं होगी। कैशलेश चिकित्सा के लिए सेवारत कर्मचारी की अधिकतम आयु 62 वर्ष और आश्रित माता-पिता की अधिकतम आयु 85 वर्ष होगी। पॉलिसी धारक को कैशलेस कार्ड के आधार पर नेटवर्क अस्पताल में कैशलेस चिकित्सा की सुविधा मिलेगी।

शिक्षामित्र-अनुदेशक हो सकते हैं वंचित-
कैशलेस चिकित्सा सुविधा की प्रीमियम अधिक होने के कारण शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को इससे वंचित होना पड़ सकता है। शिक्षामित्रों को दस हजार रुपये जबकि अनुदेशकों को नौ हजार प्रतिमाह मानदेय मिलता है। इसमें परिवार का खर्च चला पाना भी मुश्किल है। ऐसे में प्रीमियम भुगतान करना मुश्किल होगा।

76 हजार प्रीमियम पर 10 लाख तक इलाज-
इस योजना के तहत तीन, पांच, सात और दस लाख तक कैशलेस चिकित्सा का लाभ पति-पत्नी, दो बच्चे और आश्रित माता-पिता को मिलेगा। अलग-अलग राशि के लिए लाभार्थियों की संख्या के अनुसार प्रीमियम निर्धारित की गई है। तीन लाख तक की सुविधा के लिए पति-पति को 18500 सालाना, पति-पति और दो बच्चे के लिए 21000 जबकि पति-पत्नी, दो बच्चे और आश्रित माता-पिता के लिए 45000 प्रीमियम देना होगा। दस लाख की कैशलेस चिकित्सा के लिए क्रमश 34000, 39200 और 76000 प्रीमियम रखा गया है। संविदा पर तैनात शिक्षामित्र व अनुदेशक इतनी भारी-भरकम प्रीमियम कैसे अदा कर सकेंगे यह सोचने वाली बात है। सरकार के इस प्लान का चौतरफा विरोध हो रहा है। शिक्षकों का यहां तक कहना है कि सरकार इन बीमा कंपनियों से सांठगांठ कर स्वयं ही बीमा बेच रही है और लोगों में गलत प्रचार कर रही है कि हम परिषदीय शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं जबकि इस बीमा के लिए शिक्षकों से इतनी अधिक प्रीमियम ली जा रही है कि इससे कम अमाउंट में इससे बेहतर बाहर से बीमा पालिसी ली जा सकती है।

Author: aman yatra

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