परिषदीय स्कूलों की पुस्तकों में होगा बदलाव, रीति रिवाजों के बारे में सीखेंगे बच्चे
परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक से तीन तक एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तक लागू करने की तैयारी है। ऐसे में हिंदी विषय की किताब को प्रदेश के संदर्भ और परिवेश के हिसाब से तैयार करने की जिम्मेदारी राज्य शिक्षा संस्थान को मिली है।
अमन यात्रा, कानपुर देहात। परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक से तीन तक एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तक लागू करने की तैयारी है। ऐसे में हिंदी विषय की किताब को प्रदेश के संदर्भ और परिवेश के हिसाब से तैयार करने की जिम्मेदारी राज्य शिक्षा संस्थान को मिली है। संस्थान की पुस्तक सारंगी को तैयार करने में लगा हुआ है। इसमें स्थानीय परिवेश की विशेषताओं, क्षेत्रीय हस्तशिल्प, परंपराओं, बोलियों, रीति रिवाजों का एनसीईआरटी की कक्षा एक की पुस्तक में शामिल किया जाएगा। इसमें स्थानीय मेलों आदि के चित्रों को भी शामिल किया जा रहा है। जिससे बच्चे छोटी उम्र में ही प्रदेश के मेलों, खान- पान, स्थानीय परिवेश, प्रदेश की विशेषताओं के बारे में जान सकें। यह सब नई शिक्षा नीति- 2020 की गाइडलाइन के नीति-2020 मुताबिक किया जा रहा है। जानकार बताते हैं कि यह बदलाव बहुत कारगर है।
इससे बच्चे अपनी पाठ्यपुस्तक के जरिए क्षेत्रीय संस्कृतियों, रीति रिवाजों, सांस्कृतिक स्थलों और विशिष्ट हस्तशिल्प अच्छे से जान सकेंगे। इसके साथ ही छात्र-छात्राएं स्थानीय परिवेश, परंपराओं व सांस्कृतिक विरासत को संपूर्ण भारतीय परिवेश के रूप में परिकल्पित कर सकेंगे। इन बदलावों के बाद छात्र-छात्राओं को विषयवस्तु को लेकर नवीनता की अनुभूति होगी।