कानपुर देहात। परिषदीय स्कूलों में मिड-डे-मील बनाने वाली रसोइयों को अब 11 माह का मानदेय मिलेगा। मध्याह्न भोजन (एमडीएम) प्राधिकरण ने इस बाबत शासन को प्रस्ताव भेजा है। लोकसभा चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद सरकार इस पर निर्णय ले सकती है। अभी तक रसोइयों को 10 माह का ही मानदेय मिलता है। प्रदेश के बेसिक स्कूलों में कुल 3.74 लाख रसोइये कार्यरत हैं। इनको अभी 2000 रुपये मानदेय मिलता है।
केंद्र सरकार से इनके लिए 1000 रुपये मानदेय तय है। इसमें से 600 रुपये केंद्र सरकार देती है बाकी 400 रुपये के अलावा बढ़ाया हुआ 1000 रुपये मिलाकर 1400 रुपये प्रदेश सरकार खर्च करती है। केंद्रांश समय पर जारी न होने के कारण रसोइयों को मानदेय भी कभी समय से नहीं मिलता। कई बार तो छह-छह महीने बाद मानदेय मिलता है। वहीं स्कूलों में शिक्षकों को पूरे 12 महीने का वेतन मिलता है। शिक्षामित्रों एवं अनुदेशकों को 11 माह का मानदेय मिलता है लेकिन रसोइयों को 10 माह का ही मानदेय दिया जाता है। रसोइये लम्बे समय से मांग कर रहे हैं कि उनको कम से कम 11 माह का मानदेय दिया जाए।
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