ओमिक्रोन पर अमेरिका की यूनिवर्सिटी की रिसर्च में नया खुलासा, कोवैक्सीन की बूस्टर डोज को बताया कारगर
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन पर स्वदेशी कोवैक्सीन की बूस्टर डोज 90 प्रतिशत कारगर है। भारत से अमेरिका भेजे गए वैक्सीन के फेज-टू ट्रायल में दोनों डोज व छह माह बाद बूस्टर डोज लगाने वालों के सैंपल पर रिसर्च किया गया है। उसमें पाया गया कि यह वैक्सीन कोरोना के अभी तक मिले सभी वैरिएंट व ओमिक्रोन के खिलाफ कारगर है।

कानपुर, अमन यात्रा । कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन पर स्वदेशी कोवैक्सीन की बूस्टर डोज 90 प्रतिशत कारगर है। भारत से अमेरिका भेजे गए वैक्सीन के फेज-टू ट्रायल में दोनों डोज व छह माह बाद बूस्टर डोज लगाने वालों के सैंपल पर रिसर्च किया गया है। उसमें पाया गया कि यह वैक्सीन कोरोना के अभी तक मिले सभी वैरिएंट व ओमिक्रोन के खिलाफ कारगर है। इससे बनी एंटीबाडी में 90 प्रतिशत तक कोरोना को खत्म करने की क्षमता है। इस रिसर्च के आधार पर विशेषज्ञों ने इसे मल्टी एपीटोप वैक्सीन माना है, जो कोरोना के सभी वैरिएंट के खिलाफ कारगर हथियार है। इसे अंतरराष्ट्रीय आनलाइन जर्नल मेडिरिक्स में जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा।
इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के निर्देशन में पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (एनआइवी) ने भारत बायोटेक इंटरनेशनल के सहयोग से स्वदेशी कोवैक्सीन विकसित की थी। इसे कोरोना संक्रमित के सैंपल से वायरस लेकर लैब में विकसित किया गया। उसके बाद वायरस को निष्क्रिय करके वैक्सीन में इस्तेमाल किया गया। इसका क्लीनिकल ट्रायल देश में तीन चरणों में 60 वर्ष से लेकर दो वर्ष तक के बच्चों पर सफल रहा।
इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बाद जनवरी 2021 से कोविड वैक्सीनेशन में शामिल किया गया। फिर बूस्टर डोज पर भी ट्रायल किया गया। भारत बायोटेक इंटरनेशन ने दूसरे चरण के ट्रायल व बूस्टर डोज के सैंपल व डाटा पर अमेरिका की यूनिवर्सिटी आफ अटलांटा में रिसर्च कराया। भारत बायोटेक ने ट्रायल के दौरान वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वालों को छह माह बाद कोवैक्सीन की बूस्टर डोज लगवाने वाले और उसके 28 दिन बाद उनके ब्लड सैंपल से सीरम से एंटीबाडी जांच कराने वालों के सैंपल व डाटा मुहैया कराए। अमेरिका के इमोरी वैक्सीन सेंटर पर यूनिवर्सिटी आफ अटलांटा के विशेषज्ञों ने रिसर्च किया गया। इस दौरान सैंपल व डाटा के सभी पहलुओं को परखा गया।
दोनों तरह की मिली एंटीबाडी : रिसर्च में पाया गया कि वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवाने वालों में ह्यूमोरल इम्युनिटी और सेल मीडिएटेड इम्युनिटी पाई गई। दोनों तरह की एंटीबाडी मिलने का मतलब है कि इस वैक्सीन से बनी एंटीबाडी किसी भी प्रकार के एंटीजन को पूरी तरह से खत्म करने में कारगर है। इसमें वायरस के हर तरह के वैरिएंट या एंटीजन के लिए न्यूट्रलाइङ्क्षजग एंटीबाडी (वायरस का खत्म करने की क्षमता) पाई गई है।
मल्टी एपीटोप वैक्सीन : यह वैक्सीन कोरोना वायरस के सभी प्रकार के वैरिएंट के खिलाफ पूरी तरह से कारगर है। यह वैक्सीन अल्फा, बीटा, जीटा, कप्पा, डेल्टा और ओमिक्रोन के खिलाफ कारगर है। कोई भी एंटीजन एपीटोप के जरिए अंगों से जुड़ता है। यह वैक्सीन मल्टी एपीटोप बनाती है, जिससे शरीर में प्रवेश करने वाला असली कोरोना वायरस अंगों से जुड़ नहीं पाता है। अंतत: बेहाल होकर शरीर से बाहर निकल जाता है। यह वैक्सीन कोरोना के डी-614जी स्ट्रेन के खिलाफ भी कारगर है।
–कोवैक्सीन के बूस्टर डोज समेत संपूर्ण डाटा व सैंपल पर अमेरिका में रिसर्च हुआ है, जो प्रमाणित करता है कि यह मल्टी एपीटोप वैक्सीन है। इसमें दोनों तरह की सुरक्षा मिलती है, ह्यूमोरल इम्युनिटी और सेल मीडिएटेड इम्युनिटी। इसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल मेडिरिक्स ने प्रकाशित करने की सहमति जताई है। -डा. विकास मिश्रा, प्रोफेसर माइक्रोबायोलाजी, जीएसवीएम मेडिकल कालेज
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