परिषदीय स्कूलों के इंचार्ज प्रधानाध्यापकों के सब्र का बांध टूटा

करीब दस साल से प्रमोशन न मिलने से हताश कार्यवाहक प्रधानाध्यापकों ने अब कोर्ट की शरण ली है। जनपद में सैकड़ों प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय कार्यवाहक प्रधानाध्यापकों के सहारे चल रहे हैं।

लखनऊ/कानपुर देहात- करीब दस साल से प्रमोशन न मिलने से हताश कार्यवाहक प्रधानाध्यापकों ने अब कोर्ट की शरण ली है। जनपद में सैकड़ों प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय कार्यवाहक प्रधानाध्यापकों के सहारे चल रहे हैं। बच्चों के खाते में मिड-डे-मील की कन्वर्जन कास्ट पहुंचाने से लेकर उनके आधार कार्ड बनवाने, डीबीटी पोर्टल पर उनके अभिभावकों की संपूर्ण जानकारी दर्ज करवाने, किताबें बांटने के अलावा अन्य अनगिनत विभागीय कार्यों को करने का काम प्रधानाध्यापक का है।

कार्यवाहक शिक्षक को प्रधानाध्यापक का वेतन न मिलने से बड़ी संख्या में शिक्षक इस जिम्मेदारी को उठाना नहीं चाहते हैं। शिक्षकों का कहना है कि कोई भी विभागीय कार्य अगर लेट हो जाए तो उनके ऊपर अधिकारियों द्वारा कार्यवाही कर दी जाती है लेकिन वेतन या अन्य कोई लाभ उस पद का नहीं दिया जाता है जबकि माध्यमिक विद्यालयों में कार्यवाहक प्रधानाचार्य को इंक्रीमेंट तक मिलता है।कार्यवाहक प्रधानाध्यापकों का यह भी कहना है कि या तो उनका प्रमोशन प्रधानाध्यापक के पद पर किया जाए और नहीं तो उनको प्रधानाध्यापक के बराबर वेतन दिया जाए। इसी मांग को लेकर इन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की है।

 

परिषदीय स्कूलों में सालों से प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत सहायक अध्यापकों ने प्रधानाध्यापक का वेतन दिए जाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गोरखपुर के प्राइमरी स्कूल में 2010 से प्रभारी प्रधानाध्यापक त्रिपुरारी दुबे और 2005 से प्रभारी प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी उठा रहे एक अन्य शिक्षक ने हाईकोर्ट में चार नवंबर को याचिका की है। क्रमशः 12 और 17 साल से जिम्मेदारी निभा रहे दोनों अध्यापकों का तर्क है कि प्रधानाध्यापक का काम करने के बावजूद उन्हें सहायक अध्यापक का वेतन मिल रहा है। दोनों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि जब याचिकाकर्ताओं को इतने लंबे समय तक प्रधानाध्यापक के रूप में काम करने की अनुमति दी गई है तो उन्हें पद के अनुरूप वेतन भी मिलना चाहिए। कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 28 नवंबर 2022 को होगी।

 

प्रभारी प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी उठा रहे सहायक अध्यापकों को हर महीने औसतन चार हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। पदोन्नति न होने के कारण उन्हें एक इंक्रीमेंट नहीं मिल पा रहा है। इंचार्ज प्रधानाध्यापक को प्रधानाध्यापक पद का वेतन दिए जाने हेतु दायर याचिका पर उच्च न्यायालय ने 10 दिन में सरकार से जवाब मांगा है।

Author: aman yatra

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