पशुपालन एवं पशु कल्याण पखवाड़ा: पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
जनपद में 14 जनवरी 2025 से 2 फरवरी 2025 तक पशुपालन एवं पशु कल्याण पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इस पखवाड़े का समापन बसंत पंचमी के दिन 2 फरवरी को होगा।
कानपुर: जनपद में 14 जनवरी 2025 से 2 फरवरी 2025 तक पशुपालन एवं पशु कल्याण पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इस पखवाड़े का समापन बसंत पंचमी के दिन 2 फरवरी को होगा। इस अभियान के तहत सभी पशुपालकों को निम्नलिखित महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है:
जीव जंतुओं के प्रति दया का भाव रखें: खुद भी जिएं और दूसरों को भी जीने दें।
अपने पालतू पशुओं को समय से चारा-दाना दें: उन्हें उचित भोजन और रहने का स्थान प्रदान करें।
टीकाकरण योजनाओं का लाभ उठाएं: अपने पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए समय-समय पर सरकार द्वारा दी जाने वाली टीकाकरण योजनाओं का लाभ उठाएं। टीकाकरण के लिए पशुओं के कान में टैग होना अनिवार्य है।
पशुओं को अत्यधिक गर्मी और सर्दी से बचाएं: इससे उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है।
पशुओं के बीमार होने पर तुरंत इलाज कराएं: पशुओं के बीमार होने पर आईजीआरएस पर शिकायत डालकर इंतजार न करें। तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय/पशु सेवा केंद्र पर संपर्क करें और पशु चिकित्सक के परामर्श के अनुसार उनका इलाज कराएं।
पशुओं को हांकने के लिए छड़ी का इस्तेमाल न करें: कुछ पशुपालक अपने पशुओं को हांकने के लिए कील लगी छड़ी का इस्तेमाल करते हैं। यह पशु क्रूरता है और आपराधिक भी। ऐसा न करें।
खेतों में कटीले तार न लगाएं: किसान अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए कटीले तार लगाते हैं, जिससे पशु घायल हो जाते हैं। यह भी आपराधिक कार्य है।
पशु-पक्षियों को काटने से बचें: कुछ लोग अपने पालतू पशु-पक्षियों को अपनी इच्छा अनुसार भोजन के लिए काट देते हैं। यह भी आपराधिक कार्य है। पशुओं को काटने की अनुमति केवल स्लॉटर हाउस में ही दी जाती है।
आवारा कुत्तों को न भगाएं: कुछ लोग अपने मोहल्ले, सोसायटी से लावारिस कुत्तों को कहीं अन्यत्र छुड़वाने की मांग करते हैं। निराश्रित कुत्तों को उनके नेचुरल हैबिटेट से हटाना पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के अंतर्गत आपराधिक कार्य है।
निराश्रित पशु-पक्षियों को भोजन देने वालों के साथ दुर्व्यवहार न करें: जो लोग निराश्रित पशु-पक्षियों को भोजन देते हैं, उनके साथ दुर्व्यवहार करना आपराधिक कार्य है।
निराश्रित पशु-पक्षियों की देखभाल की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों की है: निराश्रित पशु-पक्षियों को पालने, उनके रहने की व्यवस्था करने और बीमार होने पर उनका इलाज कराने का दायित्व स्थानीय निकायों का है।
गोवंश का वध करना प्रतिबंधित है: गोवंश का वध करना एवं वध हेतु परिवहन उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम 1955 के अंतर्गत प्रतिबंधित है। यह गैर जमानतीय गंभीर अपराध है।
पशु परिवहन से पहले अनुमति लें: किसी पशु के परिवहन से पहले क्षेत्रीय पशु चिकित्सा अधिकारी से परिवहन प्रमाणपत्र प्राप्त करें।
बीमार पशुओं का इलाज कराएं: यह प्रत्येक पशुपालक का दायित्व है कि वह अपने बीमार पशु की चिकित्सा कराए। सरकारी पशु चिकित्सक को घर पर बुलाकर चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने के लिए पशुपालक को आने-जाने का मार्ग व्यय, पशु चिकित्सक की फीस तथा दवाइयों की कीमत अदा करनी होगी।
ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग न करें: पशुओं में दूध बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग प्रतिबंधित है।
पालतू पशुओं को इस प्रकार रखें कि वे किसी को क्षति न पहुंचाएं: पशु स्वामी की लापरवाही से उसका पालतू पशु किसी दूसरे व्यक्ति को क्षति पहुंचाता है तो इसका दंड पशु स्वामी को दिया जाता है।
पशुओं को छुट्टा छोड़ने पर कार्रवाई होगी: पशुओं को छुट्टा छोड़ने का अवैध कार्य करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई करने एवं उन्हें संरक्षित कर भरण पोषण करने का दायित्व ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद एवं नगर निगम का है।
खेतों में बिजली के तार न लगाएं: खेतों में रखवाली के लिए बिजली का तार लगाकर उसमें बिजली का करंट छोड़ना अवैध है।
पशु चिकित्सा के लिए प्रशिक्षित कर्मचारी उपलब्ध हैं: पशुओं की चिकित्सा के लिए सरकार द्वारा रजिस्टर्ड पशु चिकित्सक दिए गए हैं। उनके अधीन विभागीय पशुधन प्रसार अधिकारी, फार्मासिस्ट एवं कर्मचारी, पशुमित्र आदि कार्य करते हैं।
पशुपालक अपने पशु का इलाज पशु अस्पताल में कराएं: पशुपालकों का दायित्व है कि वे अपने पशु का इलाज पशु अस्पताल या पशु सेवा केंद्र पर ले जाकर पशु चिकित्सक से कराएं।
मृत पशुओं का उचित निस्तारण करें: पशुपालक अपने मृत पशुओं को गड्ढा खोदकर समुचित निस्तारण करें। इधर-उधर पानी आदि में मृत शव को न डालें। इससे बीमारी फैलने की संभावना रहती है।
पालतू पशुओं को रैबीज का टीका लगवाएं: अपने पालतू पशुओं विशेषकर कुत्ते बिल्ली को रैबीज बीमारी से बचाव का टीकाकरण अवश्य कराएं।
पशुओं को कुपोषण से बचाएं: पशुओं की बहुत सारी बीमारियां भरण पोषण में कमी के कारण होती हैं। कुपोषण के कारण गाय भैंसों की बाँझपन की बीमारी बड़ी समस्या है।
संतुलित पशु आहार बनाने की विधि जानें: सभी पशुपालक को संतुलित पशु आहार बनाने की विधि आनी चाहिए।
पशुओं के पेट के कीड़े की दवा खिलाएं: पशुओं को पेट के कीड़े की दवा मौसम परिवर्तन से पूर्व अवश्य खिला दें।
पशुओं के बीमार होने पर पशु चिकित्सक से संपर्क करें: यदि आपका पशु इलाज के बाद भी ठीक नहीं हो पा रहा है तो पशु चिकित्सालय के पशु चिकित्सा अधिकारी से संपर्क करें।
पशुओं में चिचड़ी की समस्या का समाधान करें: पशुओं में चिचड़ी की समस्या अक्सर देखी जाती है। इसका समय-समय पर पशु चिकित्सक से सलाह लेकर इलाज करते रहना चाहिए।
पशुओं में थनैला बीमारी का इलाज कराएं: पशुओं में थनैला बीमारी एक गंभीर बीमारी है। इसका मुख्य कारण है समय से दूध न निकालना तथा पशु का ऐसी बीमारियों से पीड़ित होना जो बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम कर देती है।
पशुपालन क्षेत्र में उद्यमिता विकास के लिए योजनाएं: पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालन क्षेत्र में उद्यमिता विकास के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय पर संपर्क करें।
साईलेज और हे बनाना सीखें: पशुओं के लिए साल भर हरा चारा उपलब्ध नहीं होता है। इसलिए सभी पशुपालकों को साईलेज बनाना एवं हे बनाना सीखना चाहिए।
छायादार पेड़ लगाएं: पशुपालक अपने गोशाला में गूलर, सहजन, अर्जुन, शहतूत आदि ऐसे छायादार पेड़ लगाएं जिनकी पत्त्तियों को खिलाया जा सके और पोषण भी मिले।
ज्वार की नियमित सिंचाई करें: गर्मी में बोई गई ज्वार में नियमित सिंचाई करें। सूखे खेत की ज्वार से साईनाईड पॉइजनिंग होने की संभावना रहती है।
भूसे, पराली, दाना को फफूंदी से बचाएं: बरसात में भीगे भूसे, पराली, दाना में फफूंदी लग जाती है जो पशुओं के स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुँचाता है।
और अधिक जानकारी के लिए नजदीकी पशु चिकित्सालय पर संपर्क करें।