पांच रुपये में बच्चों को कैसे पोषक आहार देंगे शिक्षक

परिषदीय स्कूलों में बच्चों को मिड-डे-मील के साथ सप्ताह में एक दिन पोषक आहार दिए जाने के निर्देश ने शिक्षकों का तनाव बढ़ा दिया है। योजना नवंबर-2024 से मार्च-2025 तक चलेगी। इसमें विद्यार्थियों को भुना चना, गजक, चिक्की, बाजरे के लड्डू, रामदाना के लड्डू और लाई का लड्डू देने के निर्देश हैं लेकिन शिक्षक इस कारण पसोपेश में है कि प्रति बच्चा 50 ग्राम सामग्री के लिए पांच रुपये का बजट निर्धारित किया गया है जोकि महंगाई को देखते हुए नाकाफी है

कानपुर देहात। परिषदीय स्कूलों में बच्चों को मिड-डे-मील के साथ सप्ताह में एक दिन पोषक आहार दिए जाने के निर्देश ने शिक्षकों का तनाव बढ़ा दिया है। योजना नवंबर-2024 से मार्च-2025 तक चलेगी। इसमें विद्यार्थियों को भुना चना, गजक, चिक्की, बाजरे के लड्डू, रामदाना के लड्डू और लाई का लड्डू देने के निर्देश हैं लेकिन शिक्षक इस कारण पसोपेश में है कि प्रति बच्चा 50 ग्राम सामग्री के लिए पांच रुपये का बजट निर्धारित किया गया है जोकि महंगाई को देखते हुए नाकाफी है। उत्तर प्रदेश मध्याह्न भोजन प्राधिकरण की तरफ से निर्देश जारी किए गए हैं कि पीएम पोषण योजना के तहत हर सप्ताह बच्चों को मिडडे मील के साथ सुपर फूड दिया जाएगा। योजना का उद्देश्य बच्चों के शरीर में पोषक तत्वों की कमी दूर करना है। शिक्षकों का कहना है कि बच्चों को देने के लिए तय सामग्री में कोई भी वस्तु पांच रुपये में 50 ग्राम नहीं आ सकती है। नवंबर-24 से मार्च-25 तक बच्चों को हर सप्ताह में एक दिन यह सुपर फूड देना है। इस अवधि में 19 दिन बच्चों को यह पोषक सामग्री दी जाएगी।शिक्षकों का कहना है कि 5 रुपये में 50 ग्राम सामग्री का अर्थ है कि इसका भाव 100 रुपये प्रति किलो तक होना चाहिए जबकि बाजार में यह सभी वस्तुएं महंगे रेट पर बिक रही हैं। गजक 300 से 500 रुपये किलो है तो रामदाना के लड्डू या पट्टी का भी यही रेट चल रहा है।

चिक्की लगभग 200 रुपये किलो मिल रही है। गुड़ भी खुदरा बाजार में 70 रुपये या इससे ऊपर बिक रहा है। ऐसे में बच्चों को इतने कम बजट में यह सामग्री मुहैया कराने के आदेश को लेकर शिक्षक और प्रधानाध्यापक परेशान हैं। इसके बारे में प्रधानाध्यापकों ने शिक्षाधिकारियों को भी अवगत करा दिया है। अब वह भी इस बात को लेकर पशोपेश में है कि आदेश का पालन कैसे कराया जाए। वहीं अभिभावकों का कहना है कि सरकार व्यर्थ की योजनाएं लागू कर रही है जब पूर्व में निर्धारित मेन्यू के अनुसार हमारे बच्चों को मध्याह्न भोजन नहीं दिया जा रहा है तो फिर गजक / भुना चना कौन खिलायेगा। इसके लिए जो पैसा आएगा सारा का सारा हजम हो जाएगा। अभिभावकों का आरोप है कि सोमवार को फल व बुधवार को दूध बांटे जाने का नियम है लेकिन किसी भी स्कूल में फल और दूध का वितरण नियमता नहीं किया जा रहा है इसी प्रकार बच्चों को सप्लीमेंट्री न्यूट्रिशन भी नहीं दिए जाएंगे। सारा का सारा पैसा हेड मास्टर हजम कर जाएंगे।

Author: anas quraishi

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