पारुल निरंजन राज्य शिक्षक पुरस्कार से हुईं सम्मानित
प्राइमरी पाठशाला के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की तरह अच्छी शिक्षा मिल सके यह ध्येय लेकर शिक्षण कार्य में लीन रहने वाली विकासखंड रसूलाबाद के प्राथमिक विद्यालय उसरी की प्रधानाध्यापिका पारुल निरंजन का राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार-2023 के लिये चयन हुआ है।
- परिषदीय स्कूल की शिक्षिका ने जनपद को किया गौरवान्वित
राजेश कटियार, कानपुर देहात। प्राइमरी पाठशाला के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की तरह अच्छी शिक्षा मिल सके यह ध्येय लेकर शिक्षण कार्य में लीन रहने वाली विकासखंड रसूलाबाद के प्राथमिक विद्यालय उसरी की प्रधानाध्यापिका पारुल निरंजन का राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार-2023 के लिये चयन हुआ है। चयन सूची जारी होते ही शुभचिंतक, शिक्षक और शिक्षिकाओं द्वारा बधाइयां देने का सिलसिला लगातार जारी है। शिक्षक दिवस के अवसर पर उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राज्य स्तरीय अध्यापक पुरस्कार के लिये चयनित शिक्षिका पारुल निरंजन ने हमारे रिपोर्टर राजेश कटियार से बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने यह ठान लिया था कि वह अपने विद्यालय को प्रदेश स्तर पर पहचान दिलवाएंगी। शिक्षक परिवार में जन्मी पारुल को कर्मठता और अनुशासन विरासत में मिली है। उसरी गांव और पूरे जनपद में उनकी छवि एक योग्य, ईमानदार, कर्मठ एवं मृत्युभाषी शिक्षिका के रूप में है। बचपन से मेधावी छात्रा होने के साथ साथ वह काव्य लेखन, संगीत, गायन आदि में रुचि रखती हैं, किसी भी कार्य को बिना हार माने प्रयासरत रहकर कार्य करने का जज्बा उनमें हमेशा से रहा है।
उनका कहना है कि किसी भी कार्य को यह सोचकर मत छोड़ो कि आप अकेले नहीं कर सकते बल्कि यह सोचकर पूरा खत्म कर चैन लो कि आप अकेले ही काफी हो। सकारात्मकता को अपने जीवन की धुरी बनाते हुए वह निरंतर अपने विद्यालयी दायित्वों का बखूबी निर्वहन कर रही हैं। 2007 विशिष्ट बीटीसी बैच में नियुक्ति पाकर प्रथम नियुक्ति से ही जनपद कानपुर देहात में निरंतर लगनशीलता के साथ कार्य कर रही हैं। प्रमोशन के बाद सन 2014 में रसूलाबाद विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय उसरी में कार्यभार लेने से अब तक उन्होंने अपने कार्यों से विद्यालय का भौतिक एवं सामाजिक कायाकल्प कर दिया है। जिस विद्यालय में पहले बच्चों का नामांकन और सबसे बड़ी समस्या उनके ठहराव की थी उस विद्यालय में आज उपस्थिति और ठहराव में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है और आज विद्यालय का प्रत्येक बच्चा यूनिफॉर्म में अनुशासित तरीके से खुशी खुशी उपस्थित होता है।
शिक्षिका पारुल निरंजन के द्वारा जन समुदाय को विद्यालय से जोड़ने की मुहिम का ही ये नतीजा है कि विद्यालय का नामांकन 200 के लगभग रहने लगा है अध्यापिका द्वारा विद्यालय का फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल भी बनाया गया है जिसमें उनके द्वारा नित प्रतिदिन की गतिविधियां अपलोड की जाती हैं जिससे अभिभावकों को विद्यालय और शिक्षण गतिशीलता के प्रति जानकारी प्राप्त होती रहती है और वह अपने नौनिहालों को जब सोसल साइट पर गतिविधि करते शिक्षण करते और कुछ नया करते देखती हैं तो उनको अत्यंत हर्ष प्राप्त होता है। कार्यभार के समय विद्यालय का परिवेश अत्यंत दयनीय था जो शिक्षिका पारुल के प्रयासों का परिणाम है कि आज विद्यालय का भौतिक वातावरण आकर्षक और शिक्षण अनुकूल है। विद्यालय में सभी अध्यापकों के साथ सामंजस्य और अनुशासित ढंग से काम करना उनके कुशल प्रबंधन का एक उदाहरण है। कहते हैं एक शिक्षक बच्चों के लिए नायक की भूमिका में होता है और ये बात विद्यालय के भ्रमण के दौरान बच्चो के मुख से स्वयं निकल आती है।जब बच्चो से पूछा जाता है कि आप बड़े होकर क्या बनेंगे तो जबाव आता है बड़ी मैम की तरह टीचर, जी हां बड़ी मैम कोई और नहीं इन बच्चो की प्रधानाध्यापिका पारुल निरंजन ही हैं जिन्हे बच्चे और उनके अभिभावक बड़ी मैम के नाम से ही संबोधित कर उन्हें सम्मान देते हैं।
पारुल निरंजन का जन्मस्थान उरई है और वह एक प्रतिष्ठित परिवार की बेटी हैं जहां उनके पिता स्वयं बेसिक में अध्यापक रहे और भाई भी बेसिक में अध्यापक है। शिक्षिका का विवाह सन 2006 में कानपुर के संभ्रांत परिवार में हुआ। उनके पति महेंद्र सचान का इंटरनेट कैफे का काम है। ससुरजी आईआईटी कानपुर के मेटलर्जी विभाग से रिटायर्ड कर्मी हैं। शिक्षिका की दो बेटियां इशिका सचान और इरा सचान हैं जिसमे बड़ी पुत्री इशिका सचान अंडर 17 नेशनल फुटबॉल खिलाड़ी है।
शिक्षिका का मानना है कि कोई भी सफलता केवल व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं होती। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने विद्यालय स्टाफ एवं विद्यालय के सभी नौनिहालों को दिया है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि जब भी उन्हें मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ी तो प्रत्येक कदम पर उन्हें डाइट मेंटर विपिन शांत, सभी एसआरजी, बीईओ अजब सिंह, बीईओ मनोज सिंह और रसूलाबाद के समस्त एआरपी पवन सिंह, आशीष द्विवेदी, गौरव सिंह सहित समस्त शिक्षक भाई बहिनों ने सदैव सहयोग किया और प्रेरित किया। जिले के प्रत्येक शिक्षक को आभार व्यक्त करते हुए शिक्षिका ने कहा कि सभी ने सदैव अपनी प्रेरणादायी बातों से मुझे आगे बढ़ने को प्रेरित किया इसके लिए सभी का आभार व्यक्त करते हुए शिक्षिका ने एक छोटा सा संस्मरण सांझा किया कि जब मैं शिक्षक पुरस्कार के लिए फॉर्म भरने जा रही थी तो बीईओ अजब सिंह की एक बात जो हर पल जेहन में रही कि केवल जिले से टॉप टू में चयन की तैयारी के लिए नहीं जीतकर आओगी इस जज्बे के साथ फॉर्म भरो… उनकी यह बात इंटरव्यू कक्ष में प्रवेश से पहले तक गूंज रही थी इसी तरह सबने अपने अपने स्तर से सदैव मुझे अपनी प्रेरणादायी बातों से आगे बढ़ने को प्रेरित किया। शिक्षकों के लिए मैं एक प्रेरणादायक बात अवश्य कहना चाहती हूँ कि भले ही संसाधन सीमित हो पर कर्मपथ पर निरंतर सकारात्मक नजरिये के साथ प्रयास करते हुए अपना कार्य ईमानदारी और निष्ठा के साथ करते हुए आगे बढ़ें तो हर सपना साकार होता है। बस आवश्यकता है तो सतत परिश्रम और धैर्य की….और खुद से मन ही मन एक बात कहने की….मैं कर सकती/सकता हूँ…. मैं भी कर सकती/सकतायू हूँ… बिना डरे, बिना झुके, बिना रुके।
पुरस्कार राशि के रूप में मिलेंगे 25 हजार रुपये-
पुरस्कृत होने वाले शिक्षकों को सरकार की तरफ से प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया जाएगा। साथ ही पुरस्कार राशि के तौर पर उन्हें 25 हजार रुपये भी दिए जाएंगे। पूर्व में पुरस्कार की राशि 10 हजार थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे बढ़ाकर 25 हजार कर दिया। इसके अलावा सम्मानित शिक्षक आजीवन उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बस में प्रदेश भर में प्रतिवर्ष 4000 किलोमीटर की निःशुल्क यात्रा कर सकेंगे, इसके अलावा राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान पाने वाले शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की सीमा दो वर्ष बढ़ जाती है इसके साथ ही एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि के बराबर प्रोत्साहन भत्ता आजीवन मिलता है।