पिचकारी में प्रेम रंग हो : अशोक मिश्र
नगर के एक प्रतिष्ठित यू ट्यूब चैनल के स्टूडियो में रंगों के पर्व होली के अवसर पर एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि अशोक मिश्र एवं संचालन संजीव कुलश्रेष्ठ ने किया। काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपनी कविताओं एवं गीतों से श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया।

राम सेवक वर्मा, पुखरायां । नगर के एक प्रतिष्ठित यू ट्यूब चैनल के स्टूडियो में रंगों के पर्व होली के अवसर पर एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि अशोक मिश्र एवं संचालन संजीव कुलश्रेष्ठ ने किया। काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपनी कविताओं एवं गीतों से श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया।
कविता पाठ करते हुए कवि अशोक मिश्र ने सुनाया- पिचकारी में प्रेम रंग हो, हो अबीर अनुराग। आओ सब मिलके गाएं, होली में हम फाग। नगर के प्रतिष्ठित गीतकार संजीव कुलश्रेष्ठ ने कविता पाठ करते हुए अपना बुन्देली भाषा का गीत सुनाया- आंखन में सपने दिखाएं नजीर, सोन सी चिरैया की चमके तकदीर। इसी प्रकार गीतकार राम सेवक वर्मा ने होली पर अपना गीत सुनाते हुए कहा- आई रे आई रे, होली आई रे। सबके मन को मस्त करे जो, दिल में प्रीति बसाई रे।
कवि कृष्ण मुरारी ने अपना गीत पढ.ते हुए कहा-प्यार को कितना भी छिपाओ पर, छिपाने से छिपता नहीं है। मेरे महबूब आंखों के तारे, अब इस जगह तेरा जलवा नहीं है। सबकी आंखों में पर्दा पड़ा है, तेरे चेहरे में पर्दा नहीं है। कवि बलबीर सिंह बागी ने अपना कविता पाठ करते हुए कहा- आजादी की छांव में हर वर्ग फलाफूला है, हाय रे किसान तू जहां खड़ा था, वहीं खड़ा है। इस काव्य गोष्ठी को आप यू ट्यूब चैनल बी 7 बलवीर सिंह पर भी सुन सकते हैं।
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