पुखरायां : गरीबों से दूर होती हरी सब्जियां,कैसे भरे पेट?

निर्भय सिंह यादव
पुखरायां कानपुर देहात। कोरोना का के चलते पहले लाकडाउंस में लोगों की जेब काम धंधे बंद होने के कारण खाली हो गई है जिसके कारण घर आदि के खर्चे में गरीब मजदूर लोगों की महंगाई के चलते दिवाला निकला जा रहा है तो वही सब्जियों के दाम आसमान छू रहे जिसके चलते महंगाई लोगों के घरों में रसोई तक पहुंच गई है जहां गालियों में सब्जियां नसीब नहीं हो पा रही है वहीं बाजारों में टमाटर रु 60 से रु 80 प्रति किलो बिक रहा है ठोक दुकानदारों से लेकर खुदरा दुकानदारों एवं खानपान के ठेले ढाबा रेस्टोरेंट खोलने के बाद सब्जियों की अधिक खपत और हाल में बढ़े पेट्रोल-डीजल के दामों में सब्जियों के दामों में आग लगा दी है सब्जियों का राजा का जाने वाला आलू की कीमत घटने का नाम नहीं ले रहा है आलू की घटिया से घटिया बराइटी भी 30 से रु 40 तक बाजारों में बिक रही है वही गरीबों की हालत बदतर होती जा रही है इस पर सरकार रोकथाम नहीं लगा पा रही है हरी मिर्च के दाम भी आसमान पर चढ़े हुए हैं जबकि पूर्व में सरकार की सख्ती के कारण टमाटर से लेकर हरी सब्जियां तक सस्ते भाव में लोगों के घर घर में नजर आ रही थी।लेकिन वर्तमान में टमाटर, आलू ,प्याज लोगों की थालियों में सब्जी नसीब होती नजर नहीं आ रही है कोई भी हरी सब्जी नहीं दिख रही है सरकार को महंगाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है जिससे गरीब जनमानस का भी पेट भरा जा सके वहीं बाहर से आयात सब्जियों की भी कमी समझ में आ रही है जिसके कारण सब्जी लोगों को महंगी पड़ रही है।
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