G-4NBN9P2G16

पूरे देश के सरकारी विभागों में सुलग रही है पुरानी पेंशन बहाली की आग

पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई अब अंतिम दौर की तरफ बढ़ रही है। अगर सरकार कर्मचारियों की इस मांग को नहीं मानती है तो उस स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल हो सकती है। कितने कर्मचारी, अनिश्चितकालीन हड़ताल के पक्ष में हैं यह पता लगाने के लिए केंद्र सरकार में दो बड़े विभाग, रेलवे और रक्षा विभाग (सिविल) में स्ट्राइक बैलेट यानी मतदान कराया गया था।

राजेश कटियार, कानपुर देहात। पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई अब अंतिम दौर की तरफ बढ़ रही है। अगर सरकार कर्मचारियों की इस मांग को नहीं मानती है तो उस स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल हो सकती है। कितने कर्मचारी, अनिश्चितकालीन हड़ताल के पक्ष में हैं यह पता लगाने के लिए केंद्र सरकार में दो बड़े विभाग, रेलवे और रक्षा विभाग (सिविल) में स्ट्राइक बैलेट यानी मतदान कराया गया था।ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद जेसीएम के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि अब स्ट्राइक बैलेट का नतीजा आ गया है। रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 फीसदी कर्मचारी ओपीएस लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा रक्षा विभाग (सिविल) के चार लाख कर्मियों में से 97 फीसदी कर्मी हड़ताल के पक्ष में हैं। यह मतदान पूरी तरह निष्पक्ष तरीके से हुआ है। कर्मियों ने बिना किसी दबाव के अपना मत डाला है। अब ज्वाइंट फोरम की बैठक में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए निर्धारित तिथि की घोषणा की जाएगी।

दो दिन तक जारी रहा स्ट्राइक बैलेट-

बतौर शिव गोपाल मिश्रा उम्मीद में हैं कि सरकार इस स्ट्राइक बैलेट को गंभीरता से लेगी। केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी, लंबे समय से ओपीएस की मांग कर रहे हैं। सरकार को कई दफा ज्ञापन सौंपा गया है। अगर सरकार अब भी ओपीएस पर अड़ियल रवैया अख्तियार करती है तो कर्मचारियों के पास, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा। ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के वरिष्ठ सदस्य और एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है कि अनिश्चितकालीन हड़ताल के बारे में रेलवे और डिफेंस कर्मियों का मत जानने के लिए 20 और 21 नवंबर को स्ट्राइक बैलेट कराया गया था। इसमें डिफेंस की 400 यूनिटों के लगभग 4 लाख कर्मचारियों ने हिस्सा लिया जबकि 11 लाख रेलवे कर्मियों ने अपना मत दिया था। राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लेने के लिए 7349 रेलवे स्टेशन, मंडल व जोनल दफ्तर, 42 रेलवे वर्कशॉप और सात रेलवे प्रोडेक्शन यूनिटों पर स्ट्राइक बैलेट के तहत वोट डाले गए थे। अब इन दोनों विभागों के कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए अपना जबरदस्त समर्थन दिया है।

अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प-

सी. श्रीकुमार का कहना है कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी एक साथ आ गए हैं। देश के लगभग सभी कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर एकमत हैं। केंद्र और राज्यों के विभिन्न निगमों और स्वायत्तता प्राप्त संगठनों ने भी ओपीएस की लड़ाई में शामिल होने की बात कही है। बैंक एवं इंश्योरेंस सेक्टर के कर्मियों से भी सकारात्मक बातचीत हुई है। कर्मियों ने हर तरीके से सरकार के समक्ष पुरानी पेंशन बहाली की गुहार लगाई है लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई। दिल्ली के रामलीला मैदान में पुरानी पेंशन की मांग को लेकर विभिन्न कर्मचारी संगठनों की तीन बड़ी रैलियां हो चुकी हैं। अब चौथी रैली दस दिसंबर को हो रही है। अब कर्मियों के पास अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प बचता है। दस अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में देशभर से आए लाखों कर्मियों ने ओपीएस को लेकर हुंकार भरी थी वहीं अटेवा पेंशन बचाओ मंच ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक अक्टूबर को एक विशाल रैली की थी जिसमें करीब 25 लाख सरकारी कर्मचारी पहुंचे थे। वहां कर्मचारियों ने दो टूक शब्दों में कहा था कि वे हर सूरत में पुरानी पेंशन बहाल कराकर ही दम लेंगे। सरकार को अपनी जिद्द छोड़नी पड़ेगी। कर्मचारियों ने कहा था कि वे सरकार को वह फार्मला बताने को तैयार हैं जिसमें सरकार को ओपीएस लागू करने से कोई नुकसान नहीं होगा। अगर इसके बाद भी सरकार पुरानी पेंशन लागू नहीं करती है तो भारत बंद जैसे कई कठोर कदम उठाए जाएंगे।

पुरानी पेंशन पर राजनीतिक नुकसान की बात-

ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद जेसीएम के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है। केंद्र के सभी मंत्रालय/विभाग, रक्षा कर्मी (सिविल), रेलवे, बैंक, डाक, प्राइमरी, सेकेंडरी, स्कूल कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी टीचर, दूसरे विभागों एवं विभिन्न निगमों और स्वायत्तशासी संगठनों के कर्मचारी, ओपीएस पर एक साथ आंदोलन कर रहे हैं। बतौर मिश्रा, वित्त मंत्रालय ने जो कमेटी बनाई है उसमें ओपीएस का जिक्र ही नहीं है। उसमें तो एनपीएस में सुधार की बात कही गई है। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार ओपीएस लागू करने के मूड में नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस में चाहे जो भी सुधार किया जाए कर्मियों को वह मंजूर नहीं है। कर्मियों का केवल एक ही मकसद है, बिना गारंटी वाली एनपीएस योजना को खत्म किया जाए और परिभाषित एवं गारंटी वाली पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।

Author: aman yatra

aman yatra

Recent Posts

उत्तर प्रदेश में विश्वकर्मा पूजा को बंद रहेंगे स्कूल कॉलेज

राजेश कटियार,कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद से जारी अवकाश तालिका के अनुसार 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा है।… Read More

2 hours ago

डीएम का आरटीओ कार्यालय का औचक निरीक्षण, सात कर्मचारी नदारद

कानपुर : सर्वोदय नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में आज सुबह अचानक जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के पहुँचते ही हड़कंप मच… Read More

2 hours ago

संदिग्ध परिस्थितियों में कुएं में गिरी महिला को बचाने उतरा जेठ, दोनों की मौत

मंगलपुर (कानपुर देहात)। मंगलवार सुबह सिकंदरा तहसील क्षेत्र के चमरौआ गांव का मजरा बलवंतपुर में एक दिल दहला देने वाली… Read More

4 hours ago

कानपुर देहात में दर्दनाक हादसा,रोटावेटर की चपेट में आकर युवक की मौत

कानपुर देहात में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। गजनेर थाना क्षेत्र के लोदीपुर गांव में खेत में काम करते… Read More

4 hours ago

बिग ब्रेकिंग: सेवारत शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त करने में जुटी योगी सरकार

सुप्रीम कोर्ट की ओर से शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को शिक्षकों के लिए अनिवार्य किए जाने संबंधी निर्णय पर मुख्यमंत्री… Read More

5 hours ago

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदर्शन और ज्ञापन का दिखा असर

लखनऊ/ कानपुर देहात। सेवारत शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिवार्य की गई टीईटी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने… Read More

6 hours ago

This website uses cookies.