कानपुर देहात। जनपद समेत पूरे प्रदेश में 521 शिक्षामित्र वर्षों से अनुपस्थित चल रहे हैं, किसी भी संबंधित अधिकारी ने अनधिकृत रूप से अनुपस्थित चल रहे शिक्षामित्र की सेवा समाप्त करने की जहमत नहीं उठाई। लखनऊ मंडल में इस बाबत शिकायत दर्ज कराई गई जिसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग की पोल खुल गई। अब महानिदेशक कंचन वर्मा ने आदेश जारी किया है कि लगातार अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने वाले शिक्षामित्रों की सेवाएं समाप्त होंगी। शिक्षा महानिदेशक की ओर से इस संबंध में जारी आदेश की कॉपी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेज दी गई है। दरअसल उनके द्वारा कराई गई जांच में पता चला था कि ये शिक्षामित्र अवैतनिक अवकाश लेकर पढ़ाई के बजाय दूसरे काम में लगे थे।
महानिदेशक कंचन वर्मा ने इस बारे में 15 जनवरी को प्रकाशित खबर का संज्ञान लेते हुए मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) से जांच कराई तो जांच में मामला सही पाया गया हालांकि यह जांच लखनऊ मंडल में की गई है लेकिन सभी जनपदों का यही हाल है। कंचन वर्मा ने लिखा है कि अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित चल रहे शिक्षामित्रों को तत्काल चिह्नित कर उन्हें नोटिस जारी किया जाए। शिकायत की पुष्टि होने पर 15 दिनों में उनकी संविदा समाप्त करने की कार्यवाही प्राथमिकता पर की जाए। खंड शिक्षा अधिकारी भी संदेह के घेरे में मामले में खंड शिक्षा अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। दरअसल शिक्षामित्रों को अवैतनिक अवकाश दिए जाने का नियम ही नहीं है। इसके बाद भी उनको अवैतनिक अवकाश दिया गया है। अब उनके अवकाश मंजूर होने की जांच के आदेश दिए गए हैं।
जांच में किसी खंड शिक्षा अधिकारी की मिलीभगत पाई गई तो उसके खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी। जहां कानपुर देहात में मानव संपदा पोर्टल पर 1746 शिक्षामित्र प्रदर्शित हो रहे हैं तो वही वर्षों से 1733 शिक्षामित्रों की उपस्थिति प्रमाणित की जा रही है कुल मिलाकर जनपद में अकेले 13 शिक्षामित्र वर्षों से अनाधिकृत रूप से अवकाश पर चल रहे हैं इसी प्रकार पूरे प्रदेश में मानव संपदा पोर्टल पर 129853 शिक्षामित्र प्रदर्शित हो रहे हैं जबकि 129332 शिक्षामित्रों की ही उपस्थित भेजी जा रही है मतलब 521 शिक्षामित्र वर्षों से अनुपस्थित चल रहे हैं।
गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बताया गया कि विभाग जानबूझकर अवैधानिक अवकाश पर चलने वाले शिक्षामित्रों के नाम नहीं हटा रहा है ना ही उन पर कोई एक्शन ले रहा है क्योंकि प्रत्येक माह अतिरिक्त शिक्षामित्रों के मानदेय की ग्रांट विभाग को मिलती है जिससे अगर किसी शिक्षामित्र को एरियर का भुगतान करना होता है तो उसी से कर दिया जाता है अलग से बजट की मांग नहीं करनी पड़ती है।
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