पृथ्वी के कराहते वजूद पर मंथन, इग्नू छात्रों ने वेबीनार में फूंका संरक्षण का बिगुल!
कस्बा पुखरायां स्थित रामस्वरूप ग्राम उद्योग परास्नातक महाविद्यालय में आज विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के विद्यार्थियों का एक ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया।

- प्रोफेसर विभूति राय का आह्वान: ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों से बचाएं पृथ्वी का दम घुटना!
- समन्वयक डॉ. पर्वत सिंह का आह्वान: विकास की दौड़ में विनाश को थामना होगा!
- उपनिदेशक डॉ. रीना कुमारी की चेतावनी: आज नहीं जागे तो कल पीढ़ियां नहीं करेंगी माफ!
- डॉ. अनामिका सिंहा की कविता से गूंजा पृथ्वी प्रेम, संरक्षण के संकल्प का संचार
- वरिष्ठ निदेशक डॉ. अनिल कुमार मिश्रा का मंत्र: दैनिक जीवन की बचत से करें पर्यावरण की सच्ची सेवा!
कानपुर देहात: कस्बा पुखरायां स्थित रामस्वरूप ग्राम उद्योग परास्नातक महाविद्यालय में आज विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के विद्यार्थियों का एक ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस महत्वपूर्ण वेबीनार में पृथ्वी के लगातार हो रहे क्षरण पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और इसके संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया गया। छात्रों ने जाने-माने शिक्षाविदों के विचारों को सुना और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, प्रख्यात प्रोफेसर विभूति राय ने अपने सारगर्भित संबोधन में पृथ्वी दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय दर्शन और आधुनिक विज्ञान के पृथ्वी पर व्याप्त अनगिनत जीवन रूपों संबंधी सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए कहा कि मनुष्य अपने संकीर्ण स्वार्थों के चलते जिस तरह से पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर रहा है, वह अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने विशेष रूप से ऊर्जा उत्पादन के पारंपरिक तरीकों को पृथ्वी के क्षरण का प्रमुख कारण बताते हुए गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की पुरजोर वकालत की। प्रोफेसर राय ने वर्तमान पीढ़ी द्वारा पर्यावरण की परवाह किए बिना अंधाधुंध तकनीकी उपकरणों के इस्तेमाल को भी पृथ्वी के लिए एक बड़ा खतरा बताया।
वेबीनार की अध्यक्षता कर रहे इग्नू के वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक डॉ अनिल कुमार मिश्रा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण कोई बड़ा और जटिल कार्य नहीं है, बल्कि यह हमारी दैनिक आदतों में निहित है। उन्होंने बिजली, पानी और भोजन जैसे बुनियादी संसाधनों के अपव्यय को रोककर हर व्यक्ति द्वारा पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देने की बात कही। उन्होंने छात्रों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बनने का आह्वान किया।
कार्यक्रम की संयोजिका एवं क्षेत्रीय उपनिदेशक डॉ अनामिका सिंहा ने अपने प्रभावशाली संचालन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने सुप्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत की प्रकृति प्रेम से ओतप्रोत कविता ‘यह धरती कितना देती है’ की मार्मिक पंक्तियों से कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए पृथ्वी दिवस के महत्व और वर्तमान परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने वक्तव्य से छात्रों में पृथ्वी के प्रति प्रेम और उसके संरक्षण के लिए सक्रिय होने का जोश भरा।
उपनिदेशक डॉ रीना कुमारी ने भविष्य की पीढ़ी की ओर से एक मार्मिक अपील करते हुए कहा कि यदि आज हम व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर पृथ्वी को बचाने के लिए आगे नहीं आए, तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी। उन्होंने छात्रों से छोटे-छोटे स्तर पर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने का आग्रह किया।
अध्ययन केंद्र के समन्वयक डॉ पर्वत सिंह ने वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता – सतत विकास पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि एक ओर दुनिया विकास की अंधी दौड़ में आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर हमें पर्यावरण के विनाश की गति को कम करने के लिए लगातार विचार-विमर्श और ठोस कार्य योजनाएं बनानी होंगी, ताकि हम अपने भविष्य को सुरक्षित रख सकें।
इस ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक वेबीनार में प्रोफेसर योगेश पांडे समेत विभिन्न अध्ययन केंद्रों के समन्वयकों और बड़ी संख्या में उत्साही विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। सभी ने एक स्वर में पृथ्वी को बचाने और एक स्थायी भविष्य के निर्माण के लिए अपना संकल्प व्यक्त किया। यह कार्यक्रम न केवल छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने में सफल रहा, बल्कि उन्हें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सोचने और कार्रवाई करने के लिए भी प्रेरित किया।
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