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अमन यात्रा, कानपुर देहात। चुनावी दंगल और पुरानी पेंशन दोनों का कोई सास बहू का नाता तो नहीं फिर भी हाय हल्ला मचा हुआ है जहां एक ओर राजनीतिक पार्टियां पुरानी पेंशन पर सियासत कर रही हैं तो दूसरी ओर सभी विभागों के सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग तेज कर रहे हैं।
आए दिन विभिन्न संगठनों द्वारा पुरानी पेंशन बहाली के लिए जगह-जगह आंदोलन किए जा रहे हैं। आखिर पुरानी पेंशन में ऐसा क्या है जो कमोबेश एक राय से देशभर के सरकारी कर्मचारी उसकी बहाली के लिए जोर लगा रहे हैं। दूसरी ओर नई पेंशन में ऐसा क्या है जो एक पूरे वर्ग की नाराजगी के बावजूद मोदी सरकार नई पेंशन व्यवस्था को जारी रखने पर अड़ी हुई है। ताज्जुब की बात तो यह है सभी जनप्रतिनिधि स्वयं पुरानी पेंशन ले रहे हैं और सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन के फायदे गिना रहे हैं। इससे स्वाभाविक रूप से सवाल निकलता है कि सरकार नई पेंशन योजना नहीं बल्कि एक तरह से पेंशन नहीं योजना चला रही है।
हाल ही में अमेरिका के सीएफए इंस्टीट्यूट की ओर से जारी किए गए वैश्विक पेंशन सूचकांक के मुताबिक, बेहर पेंशन व्यवस्था के मामले में भारत 41वें नंबर पर आता है। सूचकांक में 44 देशों को बेहतर पेंशन व्यवस्था के आधार पर शामिल किया गया है। भारत को इस मामले में ग्रेड डी में रखा गया है। इस बीच देश में नई और पुरानी पेंशन व्यवस्था में बेहतर को लेकर बहस जारी है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले ऑटोनॉमस रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक के मुताबिक देश में फिलहाल 85 फीसदी कामगारों के लिए पेंशन जैसी कोई व्यवस्था ही नहीं होती है। उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली सामाजिक पेंशन पर ही अपना बुढ़ापा गुजारना होता है। वहीं इस समय 57 फीसदी वरिष्ठ नागरिक ऐसे हैं जिनको किसी तरह की पेंशन मिलती ही नहीं है। वहीं बीपीएल के 26 फीसदी बुजुर्गों को पेंशन की सुविधा मिल रही है। वहीं दुनिया में कई देश ऐसे हैं जहां लागू बेहतर पेंशन व्यवस्था के कारण बुजुर्गों का जीवन काफी आसानी से कट रहा है। सरकार को सरकारी कर्मचारियों के भविष्य के जोखिम, सेवानिवृत्त होने के बाद की अनिश्चितताओं, बुढ़ापे में जीवन की सुरक्षा, आर्थिक आजादी और आमदनी को लागतार जारी रखने के लिए संतुलित निवेश व बेहतर पेंशन सिस्टम पर विचार करना चाहिए। नई पेंशन योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए घाटे का सौदा है फिर भी सरकार पुरानी पेंशन बहाल नहीं कर रही है। यही कारण है कि आइसलैंड दुनियाभर में बेहतर पेंशन प्रणाली के मामले में सबसे ऊपर है वहीं भारत सबसे फिसड्डी।
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