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प्रतिस्पर्धा ने बच्चों के संस्कारों का कर लिया हरण

आज के विद्यार्थियों के जीवन की शैली में जो परिवर्तन आया है वह सबसे अधिक संस्कारों का है। आज का विद्यार्थी मेधावी, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बहुत अधिक रुचि रखता है लेकिन सुसंस्कारित नहीं है। अच्छे संस्कारों की कमी के कारण उठना, बैठना, बोलना, बड़ों का आदर सत्कार, माता-पिता, गुरुजनों के सम्मान में रुचि नहीं रखता

  • आधुनिकीकरण युग में बच्चे भूले आदर सत्कार

अमन यात्रा ,कानपुर देहात : आज के विद्यार्थियों के जीवन की शैली में जो परिवर्तन आया है वह सबसे अधिक संस्कारों का है। आज का विद्यार्थी मेधावी, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बहुत अधिक रुचि रखता है लेकिन सुसंस्कारित नहीं है। अच्छे संस्कारों की कमी के कारण उठना, बैठना, बोलना, बड़ों का आदर सत्कार, माता-पिता, गुरुजनों के सम्मान में रुचि नहीं रखता। इन सबका कारण माता-पिता के पास समय का अभाव एवं संयुक्त परिवार का कम होना है। प्रत्येक माता पिता यह उम्मीद करते हैं कि उनका बच्चा बेहतर शिक्षा ग्रहण करे, अच्छे संस्कार स्कूल में शिक्षक भी सिखाएं लेकिन संस्कारों की वास्तविक प्रयोगशाला तो घर एवं परिवार है, जहां बच्चों के व्यवहार एवं संस्कारों का वास्तविक प्रयोग होता है। आज का शिक्षक एवं छात्र दोनों अंकों के खेल में व्यस्त हो गए हैं। उनका एक ही लक्ष्य सर्वाधिक अंक लाकर कुछ बनने का होता है। अध्यापक भी छात्रों के सर्वांगीण विकास के स्थान पर मानसिक विकास पर केंद्रीत होता है। इस भागदौड़ में जीवन के लिये अच्छा नागरिक या अच्छा इंसान बनाये जाने के पहलू अछूते रह जाते हैं। वैसे तो शिक्षकों का कर्तव्य बनता है कि बच्चों को अपने जीवन के उद्देश्यों के प्रति जागरूक करें। कटियार मेडिकल स्टोर के संचालक राजेश बाबू कटियार का कहना है कि अच्छे संस्कार अच्छे भविष्य को बनाते हैं। बच्चों को संस्कारी बनाना परिवार के हाथ में होता है। बच्चे को सुसंस्कृत एवं संस्कारी बनाने का प्रयास अभिभावक स्वयं करें जिससे उनका पुत्र/पुत्री देश व समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बन सके। शिक्षकों द्वारा अनुशासन प्रेम एवं वात्सल्य के साथ दी गई शिक्षा भी विद्यार्थियों को अच्छा नागरिक बना सकती है अत: बच्चों को शुरू से ही उनकी जिम्मेदारियों के प्रति प्रेरित करना चाहिए। इसकी शुरूआत घर से ही की जानी चाहिए। घर की छोटी छोटी जिम्मेदारियां अपने बच्चों को सौंपनी चाहिए। पढ़ाई से फुर्सत के दौरान छोटे मोटे सामान लाने के लिए बाजार जाने, घर में मेहमान आते हैं तो जलपान, उनका आदर सत्कार करने, बागवानी या अन्य कार्यों में हाथ बंटाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे बड़े होने पर वे अपनी जिम्मेदारी समझ सकेंगे।

Author: aman yatra

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